1. वो जो मेरे में से निकलता है विश्वास नहीं है। वो जो वचन को सुनने के द्वारा परमेश्वर की और से मुझे दान स्वरूप मिलता है, वो विश्वास है।
2. विश्वास मेरी ओर से परमेश्वर को उपहार नहीं है। विश्वास परमेश्वर की ओर से मुझे दान है।
3. मैं जो चाहता हूँ ( बीमारी से चंगाई, नौकरी, शादी, धन आदि) वो मुझे मिलेगा, ये विश्वास नहीं है। विश्वास ये है:
? परमेश्वर सर्वसामर्थी है और वो जो मुझे चाहिए वो देने में समर्थ है।
? परमेश्वर दयालु और अनुग्रहकारी है और वह अपने बच्चों की प्रार्थना सुनने में और उनका उत्तर देने में आनंदित होता है।
? वो हमारी प्रार्थना का उत्तर देगा यदि वो उसकी सम्प्रभु (sovereign) योजना में होगा तो।
? वो हमारी प्रार्थना का सकारात्मक उत्तर देगा यदि वो इसके द्वारा महिमा पाना चाहता है तो और यदि मैं जो मांग रहा हूं वो उसकी अनंत बुद्धी के अनुसार मेरी भलाई के लिए है तो।
4. ये कहना या विश्वास करना विश्वास नहीं है कि जो हमने प्रार्थना में मांगा वो हमें मिल गया।
ऐसा कहना गुस्ताख़ी (presumptuousness) है और झूठ भी। ये कहना या विश्वास करना विश्वास है कि परमेश्वर ने चाहा तो ये मुझे मिल जाएगा।
5. जो चीज़े अस्तित्व में नहीं उनकी ऐसे घोषणा करना जैसे वो अस्तित्व में है विश्वास नहीं है। वो तो गुस्ताख़ी (presumptuousness) है और झूठ भी।
परमेश्वर जो चीज़े अस्तित्व में नहीं उनकी ऐसे घोषणा करता है जैसे वो अस्तित्व में है क्योंकी वो परमेश्वर है, वो अनंत में है, वो भविष्य को सिर्फ जानता ही नही है उसने भविष्य को निर्धारित किया है।
क्या आप परमेश्वर हैं। क्या आप अनंत में हैं? क्या आप भविष्य को जानते हैं? क्या आप में अपने शब्दों या प्रार्थनाओं के द्वारा भविष्य को बदलने की सामर्थ है? क्या आप अपने भाग्य के खुद विधाता हो? नहीं ना तो कभी जो चीज़ें अस्तित्व में नहीं उनको ऐसे ना बोले जैसे वो अस्तित्व में हैं.
ये कहना और विश्वास करना विश्वास है कि मेरा काम परमेश्वर से प्रार्थना करना है जो जो परमेश्वर चाहे मुझे दे और जो ना देना चाहे ना दे, मैं उससे ज्यादा बुद्धिमान नहीं हूँ।
6. विश्वास ये नहीं कि मैं जो शब्द अंगीकार करूँगा या बोलूंगा वो मेरे जीवन में हो जाएगा या अस्तित्व में आ जायेगा।
विश्वास ये है कि परमेश्वर ने जो कहा है और जो कहेगा वो मेरे लिए हो जाएगा या अस्तित्व में आ जायेगा।
परमेश्वर जो बोलता है या आज्ञा देता है वो हो जाता है, क्योंकि वो परमेश्वर है, वो सृजनहार है, भाग्यविधाता है।
क्या आप परमेश्वर हैं? क्या आप के शब्दों में सृजनात्मक या भविष्य निर्धारण करने की क्षमता है? नहीं ना? फिर?
परमेश्वर आपको इस लेख के द्वारा आशीष दे।
Beautiful artical.. ❤
Thank you for your appreciation. Stay connected for more articles.
परमेश्वर जो चीज़े अस्तित्व में नहीं उनकी ऐसे घोषणा करता है जैसे वो अस्तित्व में है क्योंकी वो परमेश्वर है, वो अनंत में है, वो भविष्य को सिर्फ जानता ही नही है उसने भविष्य को निर्धारित किया है।
(क्या हमारे द्वारा किया गया पाप और भविष्य में किया जाने वाला पाप परमात्मा ने निर्धारित किया है)
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