Reformed baptist church in jaipur

क्या हमारे माता पिता उस अवस्था में बने रहे, जिसमे उनकी सृष्टि हुई थी ? (चार्ल्स स्पर्जन प्रश्नोत्तरी-13)

क्या हमारे माता पिता उस अवस्था में बने रहे, जिसमे उनकी सृष्टि हुई थी ?

उत्तर: अपनी स्वतंत्र इच्छा पर छोड़ दिए जाने पर हमारे प्रथम माता-पिता ने वर्जित फल खाकर  (उत्पत्ति 3:6-8) परमेश्वर के खिलाफ पाप किया  (सभोपदेशक 7:29) और उस अवस्था से गिर गए जिसमे उनको बनाया गया था।

साक्षी आयतें:

अत: जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने के लिए अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहनेयोग्य भी है; तब उसने उसमें से तोड़कर खाया, और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया। तब उन दोनों की आँखें खुल गईं, और उनको मालूम हुआ कि वे नंगे हैं; इसलिए उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये। तब यहोवा परमेश्‍वर, जो दिन के ठंडे समय वाटिका में फिरता था, का शब्द उनको सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्‍वर से छिप गए। (उत्पत्ति 3:6-8)

 देखो, मैं ने केवल यह बात पाई है कि परमेश्‍वर ने मनुष्य को सीधा बनाया, परन्तु उन्होंने बहुत सी युक्‍तियाँ निकाली हैं। (सभोपदेशक 7:29)

व्याख्या: 

हम इस प्रश्न के उत्त्तर की व्याख्या निम्न शीर्षकों के अंतर्गत करेंगे:

  • अपनी स्वतंत्र इच्छा पर छोड़ दिए जाने पर
  • हमारे प्रथम माता-पिता ने वर्जित फल खाकर परमेश्वर के खिलाफ पाप किया
  • उस अवस्था से गिर गए जिसमे उनको बनाया गया था।

अपनी स्वतंत्र इच्छा पर छोड़ दिए जाने पर

आदम के पास स्वतंत्र इच्छा थी। उसके पास अदन की वाटिका में अच्छाई और बुराई के बीच में चुनाव करने की योग्यता थी। मुझे यह कैसे मालूम पड़ा? परमेश्वर ने सम्पूर्ण सृष्टि की रचना करने के बाद कहा, “बहुत अच्छा” (उत्पत्ति 1:31)। इसका अर्थ है कि आदम को अच्छा बनाया गया था और वह परमेश्वर की आज्ञा को मानने में समर्थ था। परन्तु परमेश्वर ने उससे यह भी कहा था, “जिस दिन तू यह (अच्छे और बुरे के ज्ञान का) फल खायेगा उसी दिन अवश्य मर जाएगा” (उत्पत्ति 2:17)। इससे मुझे मालूम पड़ता है कि उसके पास अवज्ञा करने का विकल्प भी था।

हमारे प्रथम माता-पिता ने वर्जित फल खाकर परमेश्वर के खिलाफ पाप किया

परमेश्वर ने हमारे आदि माता पिता को पवित्रता, धार्मिकता और बुद्धि से शोभायमान किया, परन्तु शैतान के छलावे में आकर उन्होंने परमेश्वर पर विश्वास करते रहने के बजाय अच्छे और बुद्धि के ज्ञान के वर्जित फल को खा लिया। यह मनुष्य का मूल पाप था। इस पाप के न केवल आदम और हव्वा बल्कि समस्त मनुष्य जाति और समस्त सृष्टि के लिए भयंकर परिणाम हुए।

अत: जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने के लिए अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये चाहनेयोग्य भी है; तब उसने उसमें से तोड़कर खाया, और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया। तब उन दोनों की आँखें खुल गईं, और उनको मालूम हुआ कि वे नंगे हैं; इसलिए उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये। तब यहोवा परमेश्‍वर, जो दिन के ठंडे समय वाटिका में फिरता था, का शब्द उनको सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्‍वर से छिप गए। (उत्पत्ति 3:6-8)

 देखो, मैं ने केवल यह बात पाई है कि परमेश्‍वर ने मनुष्य को सीधा बनाया, परन्तु उन्होंने बहुत सी युक्‍तियाँ निकाली हैं। (सभोपदेशक 7:29)

उस अवस्था से गिर गए जिसमे उनको बनाया गया था

जब आदम और हव्वा ने पाप किया तो वो परमेश्वर की महिमा से पतीत हो गए। उनमे जो परमेश्वर का स्वरुप था वो विकृत हो गया। परमेश्वर ने उन्हें अदन की वाटिका में से निकल दिया। अब उनके पास परमेश्वर की धार्मिकता और पवित्रता नहीं रही। वो आत्मिक रूप से तुरंत मर गए अर्थात जीवन के सोते परमेश्वर से अलग हो गए, बूढ़े होकर शारीरक रूप से मर जाएंगे और उसके बाद अनंत काल तक नरक में मरने के योग्य बन गए। उन्होंने पतन में अपनी स्वतंत्र इच्छा खो दी। अब वो परमेश्वर के दुश्मन और पाप के गुलाम बन गए। हाय, कैसा महान पतन ! कैसी दुर्भाग्यशाली अवस्था !

इसलिये यहोवा परमेश्‍वर ने उसको अदन की वाटिका में से निकाल दिया (उत्पत्ति 3:23)

उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे जिनमें तुम पहले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात् उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न माननेवालों में कार्य करता है इनमें हम भी सब के सब पहले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर और मन की इच्छाएँ पूरी करते थे, और अन्य लोगों के समान स्वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे। (इफिसियों  2:1-3)

इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्‍वर की महिमा से रहित हैं (रोमियों 3:23)

इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, क्योंकि सब ने पाप किया। (रोमियों 5:12)

 

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