पैराग्राफ़ -1
(i, ii) जो लोग मसीह के साथ एक कर दिए गए हैं और प्रभावशाली रूप से बुलाए गए और नया जीवन दिए गए हुए हैं– उनके पास एक नया हृदय और एक नया आत्मा है, जो मसीह की मृत्यु और पुनरुत्थान की सामर्थ के माध्यम से सृजे गए हैं। वे उसके वचन और उनमें निवास करने वाले आत्मा के द्वारा उसी सामर्थ के माध्यम से वास्तव में और व्यक्तिगत रूप से और भी पवित्र किए जाते हैं। (iii) पाप के पूरे शरीर का प्रभुत्व नष्ट हो जाता है, (iv) और इससे उत्पन्न होने वाली विभिन्न बुरी इच्छाएँ अधिक से अधिक कमजोर होती जाती हैं और मार दी जाती हैं। (v) साथ ही, बुलाए गए और नया जीवन दिए गए लोग सभी उद्धारक अनुग्रहों में अधिक से अधिक जीवंत और मजबूत किए जाते हैं, (vi) ताकि वे सच्ची पवित्रता का अभ्यास करें, जिसके बिना कोई भी प्रभु को नहीं देखेगा।
(i, ii) प्रेरितों 20:32; रोमियों 6:5, 6;
यूहन्ना 17:17; इफिसियों 3:16-19; 1 थिस्सलुनीकियों 5:21-23
(iii) रोमियों 6:14
(iv) गलातियों 5:24
(v) कुलुस्सियों 1:11
(vi) 2 कुरिन्थियों 7:1; इब्रानियों 12:14
पैराग्राफ़ -2
(i) यह पवित्रीकरण व्यक्ति के सम्पूर्ण अस्तित्व को प्रभावित करता है, (ii) यद्यपि यह इस जीवन में कभी पूर्ण नहीं होता। हर भाग में कुछ न कुछ भ्रष्टता बनी रहती है। (iii) इसके परिणामस्वरूप आत्मा के खिलाफ शरीर की इच्छाओं का और शरीर के खिलाफ आत्मा का एक निरंतर और न थमने वाला युद्ध चलता रहता है।
(i) 1 थिस्सलुनीकियों 5:23
(ii) रोमियों 7:18, 23
(iii) गलातियों 5:17; 1 पतरस 2:11
पैराग्राफ़ -3
(i) इस युद्ध में शेष भ्रष्टता कुछ समय के लिए अत्यधिक प्रबल हो सकती है। (ii) फिर भी मसीह के पवित्र करने वाले आत्मा से सामर्थ के निरंतर प्रवाह के द्वारा नया जन्म पाया भाग विजय प्राप्त करता है। (iii) सो पवित्र लोग अनुग्रह में बढ़ते जाते हैं और परमेश्वर का भय मानते हुए पवित्रता को सिद्ध/पूर्ण करते हैं। वे उन सभी आज्ञाओं का पालन करते हुए एक स्वर्गीय जीवन का पीछा करते हैं, जो मसीह ने सिर और राजा के रूप में उन्हें अपने वचन में दी हैं।
(i) रोमियों 7:23
(ii) रोमियों 6:14
(iii) इफिसियों 4:15, 16; 2 कुरिन्थियों 3:18; 2 कुरिन्थियों 7:1