आपने ऐसी बातें सुनी, बोली या पड़ी होंगी। क्या आपने कभी सोचा की ये सच है या नहीं? आइये हम दुनिया की सबसे प्रसिद्द, सबसे ताकतवर, सबसे ज्यादा जीवनों को बदलने वाली, सदियों से सबसे ज्यादा बिकने वाली और सबसे ज्यादा उपहार में दी जाने वाली किताब बाइबल में से आत्म-साक्षात्कार करते हैं।
हम झूठे हैँ, क्योंकि हमने झूठ बोला है। (निर्गमन 20:16, नीतिवचन 6:17)
हम चोर हैं। शायद हमने किसी बैंक में डाका नहीं डाला हो, लेकिन यदि परीक्षा में नक़ल की है या किसी की कोई भी चीज़ बिना पूछे ले ली हो और अपनी बना ली हो, चाहे वो एक पेंसिल, एक फल या एक रूपया ही क्यों ना हो तो भी वो चोरी हे और हम चोर हैं । (निर्गमन 20:15 )
हम रिश्वतखोर हैं। यदि हमने रिश्वत ली या दी है तो हम रिश्वतखोर हैं।(निर्गमन 23:8)
हम लालची हैं। यदि हमने लालच किया तो हम लालची हैँ। (निर्गमन 20:17)
हम ईर्ष्यालु हैँ। यदि हमने किसी से ईर्ष्या की तो हम ईर्ष्यालु हैँ। (1 कुरिन्थियों 3:3 )
हम घमंडी हैँ, क्योंकि हमने कई चीज़ों पर घमंड किया और डींग हाँकी है। (नीतिवचन 6:17)
हम चुगलखोर हैँ। यदि हमने किसी की चुगली की तो हम चुगली करने वाले हैँ। (लैवव्यवस्था 19 :16, याकूब 4:11-12)
हम व्यसनी हैँ। यदि हमने नशा किया तो हम व्यसनी हैँ। (1 कुरिन्थियों 6:10)
हम माता-पिता का अपमान करने वाले हैँ। शायद हमने माता पिता को गाली ना दी हो, उन को सताया ना हो पर फिर भी जाने अनजाने उनका अपमान किया है। इस तरह से हम माता पिता का निरादर करने वाले बन गए। (निर्गमन 20:12 )
हम हत्यारे हैँ। हमने शायद किसी को बन्दूक या तलवार से नहीं मारा हो, परन्तु बाइबिल कहती है की यदि हमने किसी से नफरत की, कड़वाहट रखी, बैर रखा, मन में पापमय क्रोध से भर के गाली दी तो भी हम अपने मन में हत्या कर चुके। (निर्गमन 20:13, नीतिवचन 6:17, मत्ती 5:21-22, 1 यूहन्ना 3:15)
हम व्यभिचारी और बलात्कारी हैँ। हमने शायद किसी का बलात्कार नहीं किया होगा, लेकिन चूँकि हमने अश्लील वीडियो या अश्लील विज्ञापन देखे हैं और किसी आदमी या औरत पर बुरी नज़र डालकर समलैंगिक या विपरीतलिंगी वासना से भर गए हैं तो हम मन में ही व्यभिचार कर चुके ; अपनी आँखों से ही बलात्कार कर चुके। अश्लील वीडियो बनाने और देखने में और भी पाप सलंग्न हैं। अश्लील वीडियो बनाने वाले मानव तस्करी में लिप्त होतें हैं और स्त्रियों और बच्चों पर ड्रग्स देकर यौन अत्याचार करते हैं। हम मानव तस्करी और यौन अत्याचार के पाप में भी परोक्ष रूप से लिप्त हो गए। (निर्गमन 20:14, मत्ती 5:27-28, 1 कुरिन्थियों 6:10, व्यवस्थाविवरण 22:25)
हम सृष्टि उपासक हैँ। परमेश्वर के कुछ गुण है। वो एक है, वो आत्मा है, उसकी कोई शुरुआत नहीं और अंत नहीं, वो सृष्टिकार है, उसकी तुलना इस दुनिया में किसी से भी नहीं की जा सकती। यदि हमने किसी को भी चाहे वो माता -पिता, पति, प्रेमी, प्रेमिका, पादरी, संत, प्रकृति, जानवर, मूर्ती चाहे वो यीशु मसीह, मरियम या संत पौलुस की ही हो, की उपासना की है तो हम सृष्टि-उपासक बन गए। (निर्गमन 20:2-5, रोमियों 1:23 & 25)
क्या आपको आत्म-साक्षात्कार हुआ? क्या आप जान गए की सब मनुष्य पाप के गुलाम हैँ, नीच हैँ, मूर्ख हैँ। (यदि आपको अब भी लगता है की आप अच्छे मनुष्य हैँ, तो आपको आगे पढ़ने की बिलकुल भी ज़रूरत नहीं हैँ।)
बाइबिल के अनुसार पाप की सजा है नरक में अनंत काल तक तड़पना। नरक एक भयावह जगह है जहाँ से कभी कोई वापस नहीं आ सकता। हम मनुष्यों के पास पापों की क्षमा और नरक से बचने का कोई उपाय नहीं है ।
आप शायद अब यह कहेंगे की हमने अच्छे कर्म भी तो किये हैं, परन्तु बाइबिल के अनुसार परमेश्वर इतना पवित्र है कि उसके सामने हमारे धार्मिक से धार्मिक और महान से महान कार्य मैले-चिथड़े कपड़ों के सामान हैं (यशायाह 64:6)। अच्छे कर्म हमे करने चाहिए लेकिन वे परमेश्वर के महान मानकों पर कभी खरे नहीं उतर सकते।
आप में से कुछ लोग शायद यह भी सोंच रहे होंगे कि परमेश्वर तो अच्छा है, वो हमें माफ़ कर देगा और अनंत काल तक तड़पने के लिए नरक में नहीं डालेगा। मैं आपको एक उदहारण देता हूँ। यदि कोई हत्यारा या बलात्कारी न्यायाधीश से कहे, “आप तो अच्छे हैं मुझे माफ़ कर दीजिये”, तो क्या न्यायाधीश उसे माफ़ कर देंगे? नहीं। वो न्यायाधीश कहेंगे, “हाँ मैं अच्छा हूँ; मैं भ्रष्ट नहीं और इसलिए तुमको फांसी के तख़्त पर चढ़ाने का आदेश दूंगा।”जब धरती का ईमानदार न्यायाधीश किसी को नहीं छोड़ेगा तो क्या आप को लगता है कि स्वर्ग का न्यायाधीश परमेश्वर आपको छोड़ देगा? नहीं (भजन संहिता 9:8)।
उपर्युक्त उल्लेख से आप जान गए होंगे कि हम सब मनुष्य धार्मिक रूप से कंगाल हैं और अपने कर्मों के बल पर स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर सकते, परन्तु खुश खबरी यह है कि दया के धनी परमेश्वर ने खुद ही आपके पाप क्षमा करने और आपको स्वर्ग ले जा कर अनंत जीवन देने का इंतज़ाम किया है। उसने अपने बेटे यीशु मसीह को पृथ्वी पर भेजा ताकि वो आप के पापों को अपने सिर लेले और आपको बचाने के लिए खुद क्रूस पर कुर्बान हो जाये।यीशु मसीह दो हज़ार उन्नीस साल पहले चामत्कारिक रूप से एक कुंवारी स्त्री से पैदा हुआ, अंधों को आँखें दी, कोड़ियों को शुद्ध किया, मुर्दों को जिलाया, पानी पर चला, तूफान को शांत किया, परमेश्वर, नरक, स्वर्ग, दुनिया के अंत आदि के बारे में शिक्षाएं दीं, एक पूरी तरह से सिद्ध (निष्पाप) जीवन जिया और अपने कहे अनुसार क्रूस पर मरा, गाड़ा गया और अपने कहे अनुसार तीसरे दिन कब्र में से जी उठा , चालीस दिन तक मनुष्यों के बीच में प्रकट होता रहा और चालींसवें दिन आसमान में जा कर अद्रश्य हो गया। वो उसका स्वर्गारोहण था। वो फिर से दुनिया का न्याय करने आने वाला है।
प्रभु यीशु मसीह पृथ्वी पर हमारे स्थान पर सिद्ध जीवन जीने और सिद्ध बलिदान बनने के लिए आया था ताकि हमें पाप कि गुलामी से आज़ादी मिल सकें, हमारे पाप क्षमा हो सकें और हम अनंत जीवन पा सकें। अब इस महिमावान सुसमाचार के प्रति आपकी क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए? विश्वास और पश्चाताप। जी हाँ, प्रभु यीशु मसीह की कुर्बानी और वापस जी उठने पर विश्वास करके, अपने पापों से पश्चाताप करके अपने पापों कि क्षमा पाएं और उन पर विजय हो जाएँ और शेष जीवन बाइबल कि पवित्र शिक्षाओं पर चलते हुए अपने उद्धारकर्ता यीशु मसीह के लिए जीएं क्योंकि:
परमेशवर ने जगत से (आप से) ऐसा प्रेम किया कि अपना इकलौता बेटा यीशु मसीह कुर्बान कर दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वो नरक में अपने पापों के कारण अनंतकाल तक ना जले पर अनंत जीवन पाए। (यहुन्ना 3:16)