सृष्टि निर्माण का कार्य क्या है ?
उत्तर: परमेश्वर के द्वारा बिना किसी वस्तु के अपनी सामर्थ के वचन (इब्रानियों 11:3) के द्वारा छः सामान्य निरंतर दिनों में ((उत्पत्ति 1:31) सब कुछ,(उत्पत्ति 1:1) जो बहुत अच्छा (उत्पत्ति 1:31) था बनाये जाने को सृष्टि निर्माण का कार्य कहते हैं।
साक्षी आयतें:
विश्वास ही से हम जान जाते हैं कि सारी सृष्टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। पर यह नहीं कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्तुओं से बना हो। (इब्रानियों 11:3)
आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। (उत्पत्ति 1:1)
तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा साँझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवाँ दिन हो गया। (उत्पत्ति 1:31)
व्याख्या:
सृष्टि के विषय में झूठे विचार
इस दुनिया में सृष्टि के सम्बन्ध में बहुत से झूठे विचार हैं, उनमे से मुख्य दो यहाँ दिए जा रहें हैं:
बिग बैंग और विकासवाद (Big Bang and Evolutionism): इस विचार को मानने वाले कहते हैं कि कोई ईश्वर है ही नहीं। ये दुनिया कुछ भी नहीं से अस्तित्व में आ गई। एक बड़ा विस्फोट हुआ और दुनिया बन गई और मनुष्य बंदरों से आये हैं।
दिव्य विकासवाद (Theistic Evolutionism): उदारवादी मसीही लोग यह कहते हैं कि हाँ परमेश्वर ने दुनिया बनाई, लेकिन लाखों सालों में। ये लोग बाइबल में दिए उत्पत्ति के वर्णन और डार्विनवाद के बीच में सामंजस्य स्थापित करने का निरर्थक प्रयास करते हैं।
सृष्टि के विषय में सच्चा विचार : सृष्टिवाद (Creationism)
सृष्टि के विषय में एक मात्र सच्चा विचार सृष्टिवाद (Creationism) है, जो कहता है कि परमेश्वर ने अक्षरशः छह दिनों में सृष्टि का निर्माण किया। परन्तु दुर्भाग्य की बात है कि यह दृष्टिकोण आपको आपकी विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में पढ़ाया ही नहीं गया। उन्होंने बिग बैंग और विकासवाद के झूठे सिद्धांतों को ऐसे पढ़ाया जैसे वही सत्य हो। ये एक वैश्विक षड़यंत्र है आपको परमेश्वर की सच्चाई से दूर रखने के लिए।
परमेश्वर के अस्तित्व का सबूत
एक बार मैं एक विशालकाय मॉल के सामने खड़ा था। वहां मैं एक नास्तिक कहलाने वाले व्यक्ति से मिला और हमारी ये वार्तालाप हुई:
वो आदमी: मैं परमेश्वर पर विश्वास नहीं करता।
मैं : क्यों ?
वो आदमी: क्योंकि मैं वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखता हूँ। मैंने परमेश्वर को ना देख सकता हूँ, ना छू सकता हूँ, ना चख सकता हूँ। मैं उस पर कैसे विश्वास करूँ ?
मैं : क्या आप जानते हैं ये मॉल किसने बनाई ?
वो आदमी: नहीं।
मैं : तो क्या इसका मतलब यह है कि एक बड़ा विस्फोट हुआ था और ये बिल्डिंग अस्तित्व में आ गई ?
वो आदमी: नहीं, नहीं। इसे किसी ने बनाया है।
मैं : आपका कहने का मतलब है कि बिल्डिंग है तो निश्चित है कि बिल्डर भी होगा।
वो आदमी: हाँ।
मैं : बिल्कुल सही कहा आपने। अगर बिल्डिंग है तो बिल्डर तो होगा ही। उसी तरह से एक किताब उसके लेखक का सबूत है और एक चित्र एक चित्रकार का। मैंने आपने माता-पिता को नहीं देखा; ना ही छुआ और चखने का मेरा जरा भी इरादा नहीं है, पर फिर भी मैं विश्वास करता हूँ कि आपके माता पिता हैं, आप विस्फोट से नहीं आये थे। और इसी तरह ये खूबसूरत और व्यवस्थित दुनिया एक खूबसूरत, बुद्धिमान और शक्तिशाली सृष्टिकर्ता का सबूत है।
वो आदमी (सिर झुकाते हुए): हाँ।
मैं : लेकिन नहीं फिर भी हम ये मान लेते हैं कि ये मॉल एक विस्फोट से अस्तित्व में आई।
वो आदमी: नहीं, नहीं।
मैं : नहीं मान लेते हैं। लेकिन देखो वो विस्फोट कितना समझदार और बुद्धिमान था कि उसने इस मॉल का एक्सटीरियर और इंटीरियर दोनों इतना लाजवाब रूप से डिज़ाइन किया कि देखने वाला देखता ही रह जाए। वो विस्फोट कितना संवेदनशील था की उसने बुड्ढे लोग सीढिया नहीं चढ़ सकते इसलिए एस्केलेटर और लिफ्ट बना दीं। और वो विस्फोट कितना नैतिक और पवित्र था कि उसने आदमियों और औरतों के लिए अलग-अलग बाथरूम बनाये।
वो आदमी (शर्म के मारे पानी-पानी होकर और सिर झुका कर): मैं मानता हूँ कि एक सृष्टिकर परमेश्वर है, जिसने दुनिया को बनाया।
इस वार्तालाप में आपने देख लिया होगा कि परमेश्वर के अस्तित्व पर सवाल उठाना कितना मूर्खतापूर्ण है।
अब हम अपने प्रश्न के उत्तर का विश्लेषण करेंगे।
परमेश्वर के द्वारा बिना किसी वस्तु के अपनी सामर्थ के वचन के द्वारा छः सामान्य निरंतर दिनों में सब कुछ, जो बहुत अच्छा था बनाये जाने को सृष्टि निर्माण का कार्य कहते हैं।
- परमेश्वर के द्वारा: परमेश्वर समय, द्रव्य और स्थान को बनाने से पहले अस्तित्व में था। उसने समय, द्रव्य और स्थान कि शुरवात की। वो सृष्टिकर्ता है।
- बिना किसी वस्तु के: उसने एक्स निहिलो अर्थात कुछ भी नहीं में से सब कुछ बनाया।
- अपनी सामर्थ के वचन के द्वारा: उसने किसी की मदद नहीं ली। अनंत मैं वो अकेला ही था। उसने कहा और सृष्टि अस्तित्व में आ गई।
- छः सामान्य निरंतर दिनों में: वह पल भर में सृष्टि निर्माण कर सकता है, लेकिन उसने अपने उद्देश्य के अनुसार एक व्यवस्था देने के लिए अक्षरशः छः दिनों में सृष्टि निर्माण किया।
- सब कुछ: सब कुछ जो दिखता है और नहीं दिखता है, उसी ने बनाया है।
- जो बहुत अच्छा था : उसने जो बनाया था वो बहुत अच्छा था, लेकिन मनुष्य के पाप के कारण सम्पूर्ण सृष्टि शापित हो गई।
निम्नलिखित आयतें स्पष्ट कर देती हैं कि परमेश्वर ने बिना किसी वस्तु के अपनी सामर्थ के वचन के द्वारा छः सामान्य निरंतर दिनों में सब कुछ, जो बहुत अच्छा था, बनाया:
विश्वास ही से हम जान जाते हैं कि सारी सृष्टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। पर यह नहीं कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्तुओं से बना हो। (इब्रानियों 11:3)
आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। (उत्पत्ति 1:1)
तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा साँझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवाँ दिन हो गया। (उत्पत्ति 1:31)
क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उनमें हैं, सब को बनाया, और सातवें दिन विश्राम किया; इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया। (निर्गमन 20:11)
यहोवा, तेरा उद्धारकर्ता, जो तुझे गर्भ ही से बनाता आया है, यों कहता है, “मैं यहोवा ही सब का बनानेवाला हूँ, जिसने अकेले ही आकाश को ताना और पृथ्वी को अपनी ही शक्ति से फैलाया है। (यशायाह 44:24)
आकाशमण्डल यहोवा के वचन से,
और उसके सारे गण उसके मुँह की श्वास
से बने। (भजन संहिता 33:6)
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