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परमेश्वर ने कौनसा अधिकृत साधन दिया है जो हमे सिखाता है कि उसकी महिमा कैसे करें उसमें आनंदित कैसे रहें? (चार्ल्स स्पर्जन प्रश्नोत्तरी-2)

2. परमेश्वर ने कौनसा अधिकृत साधन दिया है जो हमे सिखाता है कि उसकी महिमा कैसे करें उसमें आनंदित कैसे रहें?

उत्तर: पुराने नियम और नए नियम के पवित्रशास्त्र में निहित परमेश्वर का वचन (इफिसियों 2:20; 2 तीमुथियुस 3:16) ही एक मात्र अधिकृत साधन है जो सिखाता है कि हम कैसे उसकी महिमा करें और उसमें आनंदित रहें (1 यूहन्ना 1:3)।

साक्षी आयतें:

और प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नींव पर, जिसके कोने का पत्थर मसीह यीशु स्वयं ही है, बनाए गए हो। इफिसियों 2:20)

सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धार्मिकता की शिक्षा के लिये लाभदायक है। (2 तीमुथियुस 3:16)

जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है। (1 यूहन्ना 1:3)

व्याख्या: 

सच्ची मसीहियत कहती है कि पुराने नियम और नए नियम के पवित्रशास्त्र में निहित परमेश्वर का वचन (इफिसियों 2:20; 2 तीमुथियुस 3:16) ही एक मात्र अधिकृत साधन है जो सिखाता है कि हम कैसे उसकी महिमा करें और उसमें आनंदित रहें (1 यूहन्ना 1:3)। लेकिन दो तरह के झूठे शिक्षक बाइबल की पर्याप्तता पर आक्रमण करते हैं।

बाइबल को अनावश्यक बताने वाले झूठे शिक्षक :

ये शिक्षक कहते हैं कि यीशु मसीह के बारे में भारत के हर धर्म में लिखा है। एक शिक्षक ने तो कुछ इस तरह के शब्द अपने सन्देश में बोले, “है प्रभु तूने इज़राइल के लोगों से बातें की, लेकिन क्या तूने मेरे देश के लोगों से, मेरे पूर्वजों से बात नहीं की?” वो आगे बोलता है, “प्रभु ने मुझे इब्रानियों 1:1 दिखाया और कहा कि हाँ मेने तेरे पूर्वजों से भी बात की और मसीह का सुसमाचार मैंने भारत देश के ग्रंथों में भी रखा है।” मैंने उसे एक बार यह बोलते सुना, “गीता से ही शुरू करूँगा; गीता से ही ख़त्म करूँगा। ” यह व्यक्ति बाइबल की सर्व-पर्याप्तता पर ही आक्रमण नहीं करता; इसके हिसाब से तो बाइबल की जरुरत ही नहीं, बल्कि बाइबल साफ़ साफ़ कहती है कि विश्वास सिर्फ बाइबल के द्वारा ही आता है:

विश्‍वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है। (रोमियों 10:17)

और बचपन से पवित्रशास्त्र (बाइबल) तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्‍वास करने से उद्धार प्राप्‍त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है। (2 तीमुथियुस 3:15)

क्या इब्रानियों 1:1 का अर्थ यह है कि परमेश्वर ने भारत के सारे धर्मों के सारे धर्मग्रंथों में यीशु मसीह का जिक्र किया है ? आइये पढ़ते हैं :

“पूर्व युग में परमेश्‍वर ने बापदादों से थोड़ा थोड़ा करके और भाँति-भाँति से भविष्यद्वक्‍ताओं के द्वारा बातें कर, इन अन्तिम दिनों में हम से पुत्र के द्वारा बातें कीं” (इब्रानियों 1:1)

कोई भी बाइबल-साक्षर व्यक्ति इस आयत को पढ़कर इस निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सकता कि परमेश्वर ने पूर्वयुग में अन्य धर्मग्रंथों में यीशु मसीह और उसके सुसमाचार का जिक्र किया है। यहाँ सिर्फ यहूदी भविष्यवक्ताओं की बात हो रही है और यहूदियों के पूर्वजों की बात हो रही है। लेकिन ये शिक्षक लोगों को मसीहियत में लाने के जूनून में झूठी शिक्षाएँ देते हैं। ये पवित्र आत्मा की सामर्थ और वचन के प्रभाव में विश्वास नहीं करते; इसलिए इन्हें तरह-तरह की मानवीय युक्तियाँ निकालनी पड़ती हैं। इनकी इन झूठी शिक्षाओं का पर्दाफाश करने के लिए बाइबल कि एक ही आयत काफी है:

वह याकूब को अपना वचन,
और इस्राएल को अपनी विधियाँ
और नियम बताता है।
किसी और जाति से उस ने
ऐसा बर्ताव नहीं किया;
और उसके नियमों को औरों ने नहीं जाना। (भजन संहिता 147:19-20)

भजन संहिता 147:19-20 साफ़ साफ़ बताता है की परमेश्वर ने सिर्फ इज़राइल को ही अपना वचन दिया और दुसरे देशों को नहीं।

 

बाइबल को अपर्याप्त बताने वाले झूठे शिक्षक :

इन शिक्षकों के हिसाब से बाइबल तो है; लेकिन परमेश्वर अभी भी स्वपन-दर्शन, भविष्यवाणियों आदि के द्वारा बातें कर रहा है। लेकिन यह शिक्षा झूठी है। बाइबल इब्रानियों १:१ में स्पष्ट रूप से कहती है कि पूर्व युग में परमेश्वर हमारे बाप दादाओं से अलग अलग तरह से अर्थात स्वप्न-दर्शन,स्वर्गदूतों और भविष्यवाणियों के द्वारा बात करता था, लेकिन अब वह अपने पुत्र के ही द्वारा बात कर चुका, जिसकी बातें पवित्र आत्मा ने प्रेरितों से नए नियम की किताबों में लिखवाई:

पूर्व युग में परमेश्‍वर ने बापदादों से थोड़ा थोड़ा करके और भाँति-भाँति से भविष्यद्वक्‍ताओं के द्वारा बातें कर, इन अन्तिम दिनों में हम से पुत्र के द्वारा बातें कीं, (इब्रानियों 1:1)

ध्यान दीजिये परमेश्वर बात कर चूका, अब वो नए प्रकाशनों के द्वारा बात नहीं कर रहा। हम मसीह में परिपूर्ण हैं:

और तुम उसी में भरपूर (complete) हो गए हो जो सारी प्रधानता और अधिकार का शिरोमणि है। (कुलुस्सियों 2:10)

पतरस बताता है की हमे जीवन और धार्मिकता से सम्बंधित सारी चीज़ें परमेश्वर के ज्ञान के द्वारा अर्थात उद्धार के समय मिल गई:

क्योंकि उसकी ईश्‍वरीय सामर्थ्य ने सब कुछ जो जीवन और भक्‍ति से सम्बन्ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है। (2 पतरस 1:3)

पौलुस हमे सिखाता है की मसीही जन को सिद्ध/परिपक्व बना देने के लिए पर्याप्त है। हमे किसी नए प्रकाशन की जरुरत नहीं है।

सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धार्मिकता की शिक्षा के लिये लाभदायक है, ताकि परमेश्‍वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए। (2 तिमुथियस 3:16-17)

पौलुस इफिसियों में प्रेरितों और भविष्यवक्ताओं को कलीसिया की नीव बोलता है:

और प्रेरितों और भविष्यद्वक्‍ताओं की नींव पर, जिसके कोने का पत्थर मसीह यीशु स्वयं ही है, बनाए गए हो। (इफिसियों 2:20)

अर्थात प्रेरित और भविष्यवक्ता के होने के वरदान अब किसी को नहीं दिए जाते। चर्च की स्थापना हुए 2020 साल हो गए हैं। क्या कोई 2020 वीं मंजिल पर नीव डालता है? नहीं ना? तो आज जो कोई भी अपने आप को प्रेरित और भविष्यवक्ता कहे और नए प्रकाशन दे वो झूंठा है। याद रहे :

मसीहयत में कुछ भी नया नहीं है सिवाय उसके जो झूंठ है। (चार्ल्स स्पर्जन )

यहूदा भी हमको सिखाता है की हमको एक ही बार में हमेशा के लिए सिद्ध वचन सौंप दिया गया है जिसको भ्रष्ट होने से या जिसमे कुछ जुड़ने या घटने को रोकने के लिए हमे प्रयत्नशील रहना चाहिए :

मैं ने तुम्हें यह समझाना आवश्यक जाना कि उस विश्‍वास (वचन) के लिये पूरा यत्न करो जो पवित्र लोगों को एक ही बार सदा के लिए सौंपा गया था। (यहूदा 3)

पतरस ने भी हमको यही सिखाया है इसी वचन पर ध्यान किये रहें जब तक भोर का तारा ना उदय हो जाये अर्थात यीशु मसीह ना आ जाये। उसने आपको यह नहीं सिखाया की स्वप्न-दर्शनों और भविष्यवाणियों की खोज में रहो -वह तो झूंठे शिक्षकों करते हैं

तुम यह अच्छा करते हो जो यह समझकर उस पर ध्यान करते हो कि वह एक दीया है, जो अन्धियारे स्थान में उस समय तक प्रकाश देता रहता है जब तक कि पौ न फटे और भोर का तारा तुम्हारे हृदयों में न चमक उठे. (2 पतरस 1:19)

अंत में में आपको पवित्र आत्मा की लगी हुई छाप दिखा देता हूँ की अब कुछ जुड़ेगा नहीं और घटेगा नहीं:

मैं हर एक को, जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूँ : यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए तो परमेश्‍वर उन विपत्तियों को, जो इस पुस्तक में लिखी हैं, उस पर बढ़ाएगा। यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्तक की बातों में से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्‍वर उस जीवन के वृक्ष और पवित्र नगर में से, जिसका वर्णन इस पुस्तक में है, उसका भाग निकाल देगा। (प्रकाशितवाक्य  22:18-19)

पवित्र आत्मा ने पुराने नियम को मलाकी की किताब के साथ अंत किया लेकिन वहां यह छाप नहीं लगाईं। ये छाप प्रकाशित वाक्य के अंत में लगी। इन आयतों के अनुसार जो कोई भी इसमें कुछ जोड़ेगा वो नरक में जाएगा और वहां उसकी सजा और बड़ा दी जाएगी।

निष्कर्ष

पवित्र शास्त्र समस्त उद्धार सम्बन्धी ज्ञान, विश्वास, और आज्ञाकारिता का एकमात्र पर्याप्त, निश्चित और त्रुटिहीन साधन है। (1689 लन्दन बैप्टिस्ट विश्वास का अंगीकार)

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