मसीही धर्मशास्त्र में यह विषय अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण है। आदम के पास स्वतंत्र इच्छा थी*। उसके पास अदन की वाटिका में अच्छाई और बुराई के बीच में चुनाव करने की योग्यता थी। मुझे यह कैसे मालूम पड़ा? परमेश्वर ने सम्पूर्ण सृष्टि की रचना करने के बाद कहा, “बहुत अच्छा” (उत्पत्ति 1:31। इसका अर्थ है कि आदम को अच्छा बनाया गया था और वह परमेश्वर की आज्ञा को मानने में समर्थ था। परन्तु परमेश्वर ने उससे यह भी कहा था, “जिस दिन तू यह (अच्छे और बुरे के ज्ञान का) फल खायेगा उसी दिन अवश्य मर जाएगा” (उत्पत्ति 2:17)। इससे मुझे मालूम पड़ता है कि उसके पास अवज्ञा करने का विकल्प भी था। परन्तु जब आदम ने फल खाया, तो मनुष्य आत्मिक रूप से मर गया और उसने स्वेच्छा या स्वतंत्र इच्छा खो दी। हम गुलाम बन गए- पाप के गुलाम।
क्या आप जानते है कुत्ता क्यों भौंकता है ? वो इसलिए नहीं भौंकता कि भौंक के कुत्ता बन जाए। वो इसलिए भौंकता हैं क्योंकि वह पहले से कुत्ता है । आदम के पाप के कारण मनुष्य पापमय अवस्था में ही मां के गर्भ में पड़ता है और पाप का गुलाम ही पैदा होता है (भजन 51:5)। वह बड़े पाप और छोटे पाप के बीच में चुनाव कर सकता है। वह आतंकवाद और ऊपरी तौर से जो भले काम हैं उनके के बीच में चुनाव कर सकता है। वह हत्यारा बन सकता है या अपनी और अपने झूंठे ईश्वर की महिमा के लिए मानव सेवा जैसे भले काम कर सकता है और यहाँ तक कि अपने प्राण भी न्योछावर कर सकता है। परन्तु वह भलाई और परमेश्वर को नहीं चुन सकता। मनुष्यों की समस्या यह नहीं है कि उन्होंने पाप किये। समस्या यह है कि उन्होंने पाप के अलावा और कुछ किया ही नहीं। बाइबल कहती है कि जो विश्वास से नहीं वो पाप है अर्थात जो प्रभु यीशु मसीह में विश्वास के द्वारा परमेश्वर कि महिमा के लिए नहीं वो सब पाप है (रोमियों 14: 23; यशायाह 64:6)।
- मनुष्य क्यों भलाई और परमेश्वर को नहीं चुन सकता?
क्योंकि वो परमेश्वर को नहीं जानता
जो परमेश्वर को नहीं जानते …………………………….(2 थेसलोनिकियों 1:8)
- वो परमेश्वर को क्यों नहीं जनता।
क्योंकि वो परमेश्वर को नहीं जान सकता:
शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उसकी दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जाँच आत्मिक रीति से होती है। (1 कुरिन्थियों 2:14)
क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्वर की व्यवस्था के अधीन है और न हो सकता है; और जो शारीरिक दशा में हैं, वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते। (रोमियों 8:7-8)
- वो परमेश्वर को क्यों नहीं जान सकता ?
क्योंकि वो पापों में मरा हुआ है और परमेश्वर को जानने की इच्छा नहीं रखता:
उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे जिनमें तुम पहले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात् उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न माननेवालों में कार्य करता है। इनमें हम भी सब के सब पहले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर और मन की इच्छाएँ पूरी करते थे, और अन्य लोगों के समान स्वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे। (इफिसियों 2:1-3)
कोई समझदार नहीं;
कोई परमेश्वर का खोजनेवाला नहीं। (रोमियों 3:11)
बाइबल ये नहीं कहती की हम पापों में बीमार थे और फिर हमने डॉक्टर यीशु को चुन लिया और उसने हमे चंगा कर दिया। बाइबल कहती है की हम पापों में मरे हुए थे। पापों में मरे होने का क्या मतलब होता है ?
पाप में मरे होने का अर्थ
(A) हम आत्मिक रूप से मरे हुए थे। पाप में मरा हुआ मनुष्य भलाई और परमेश्वर को नहीं चुन सकता।
(B) हम बेझिझक पापी की तरह या अपनी और अपने झूंठे ईश्वर की महिमा के लिए भले कामों के द्वारा परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह में पुरजोर सक्रीय थे।
आप कहेंगे, “मैंने तो परमेश्वर को अपने बाल्यकाल में ही चुन लिया था। ” नहीं, आपने परमेश्वर को नहीं चुना था। आपने अपनी कल्पना में एक ईश्वर को गढ़ा था। आपने अपनी ही समानता में एक ईश्वर या एक बाइबल विरुद्ध यीशु को बना लिया था। दुनिया के सारे धर्म परमेश्वर तक पहुंचने के प्रयास नहीं हैं, परन्तु एक मात्र जीवित और सच्चे परमेश्वर से भागने के प्रयास हैं।
बाइबल उद्धार को जुए या गुलामी में बदलाव के रूप में परिभाषित करती है। अर्थात उद्धार शैतान और पाप की गुलामी से आज़ाद होकर परमेश्वर की गुलामी में आना है :
क्या तुम नहीं जानते कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों के समान सौंप देते हो उसी के दास हो : चाहे पाप के, जिसका अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञाकारिता के, जिसका अन्त धार्मिकता है? परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो कि तुम जो पाप के दास थे अब मन से उस उपदेश के माननेवाले हो गए, जिसके साँचे में ढाले गए थे, और पाप से छुड़ाए जाकर धार्मिकता के दास हो गए। जब तुम पाप के दास थे, तो धर्म की ओर से स्वतंत्र थे (रोमियों 6:16-18, 20)
और तुम अपने नहीं हो? क्योकि दाम देकर मोल लिये गए हो (1कुरिन्थियों 6:19-20)
ये आयतें ये नहीं कहती कि हम स्वतंत्र थे और हमारे पास स्वतंत्र इच्छा थी। ये कहतीं हैं कि हम पहले पाप के गुलाम थे अब हम यीशु मसीह और उसकी धार्मिकता के गुलाम हैं। हम ख़रीदे गए हैं।
तो क्या इसका ये मतलब है कि मनुष्य रोबोट है और उसके पास किसी भी अर्थ में स्वतंत्र इच्छा नहीं है ? नहीं, मनुष्य रोबोट नहीं है। आइये मैं आपको पाप कि गुलामी और धार्मिकता की गुलामी के अर्थ समझाता हूँ :
पाप कि गुलामी का अर्थ :
(A) पाप के गुलाम होने के नाते आप स्वतंत्र इच्छा से पाप करते हो। आपसे कोई बलपूर्वक पाप नहीं करवाता। आप पाप अपनी मर्जी से करते हो , क्योंकि वो आपका स्वभाव है। जैसे कुत्ता अपने स्वभाव का गुलाम होता है और भौंकता है , वैसे ही मनुष्य स्वाभाविक रूप से पाप करता है। एक और उदहारण लेते हैं। जैसे सूअर अपने स्वाभाव के वश में होकर कीचड़ में जाता है, उसी तरह मनुष्य अपने स्वाभाव के वश में होकर पाप करता है। सूअर नाली में लौटने में आनंदित होता है और आदम की सब संतान पाप करने में आनंदित होते हैं।
(B) जैसे सूअर क्रिसमस के पकवान और मल में से क्रिसमस के पकवान नहीं चुन सकता वैसे ही मनुष्य भलाई और परमेश्वर को नहीं चुन सकता।
धार्मिकता की गुलामी का अर्थ :
(A) आप धार्मिकता के काम करने और अपने प्रभु परमेश्वर यीशु मसीह को प्रसन्न करने के लिए स्वतंत्र हो। यीशु मसीह आपसे बलपूर्वक आज्ञापालन नहीं करवाता। उसने आपको ऊपर से /नए सिरे से जन्म दे दिया है (यूहन्ना 3:8)। उसने आपको नया बना दिया है। आप नई सृष्टि हैं (2 कुरिन्थियों 5:17) । उसने आपको नई इच्छा और नए स्नेह/प्रवर्तियां दी हैं। इस नई इच्छा से आप स्वतंत्र रूप से, अपनी मर्जी से और प्रसन्नता से मृत्यु तक उसकी आज्ञा का पालन करते हैं।
(B) आप प्रभु यीशु मसीह के खिलाफ विद्रोह करके नरक नहीं जा सकते। आप नई सृष्टि है। आपका स्वाभाव बदल दिया गया है।
(*आदम के पास स्वतंत्र इच्छा थी। इसका अर्थ यह नहीं है कि वह परमेश्वर कि सम्प्रभुता और पूर्वनिर्धारण के क्षेत्र से बाहर था। उसने अपनी स्वतंत्र इच्छा से वही किया जो परमेश्वर ने पहले से उसके लिए निर्धारित किया था। इस बात को और समझने के लिए रोमियों अध्याय 9 और नीचे दिए गए logosinhindi.com के और अन्य लिंक्स पर जाएँ।)
प्रोत्साहन: हमने देखा की हम पाप में मरे हुए थे, पाप के गुलाम थे, परमेश्वर और उसकी धार्मिकता के दुश्मन थे। हम परमेश्वर को ना चाहते थे, ना ही चाह सकते थे। परमेश्वर ने हम पर अनुगृह किया और हम बच गए। हम पाप की गुलामी से छूटकर परमेश्वर के और उसकी धर्मिता के गुलाम बन गए। और यह हमारी स्वतंत्र इच्छा से नहीं हुआ, परन्तु परमेश्वर के स्वतंत्र अनुगृह के द्वारा हुआ – वो स्वतंत्र अनुगृह जिसने हमे पाप में मरे होने से जिलाया और प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने की इच्छा दी। आइये परमेश्वर का उसके अनुगृह के लिए धन्यवाद करें और उसकी महिमा के लिए जिएं।
और अपनी इच्छा के भले अभिप्राय के अनुसार हमें अपने लिये पहले से ठहराया कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों, कि उसके उस अनुग्रह की महिमा की स्तुति हो, जिसे उसने हमें उस प्रिय में सेंतमेंत दिया। हम को उसमें उसके लहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात् अपराधों की क्षमा, उसके उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिला है। (इफिसियों 1:5-7)
उदहारण प्रार्थना : है पिता परमेश्वर, मुझे क्षमा कीजिये मेरे विद्रोह के लिए। आपका धन्यवाद की आपने अपने स्वतंत्र अनुगृह से मेरी पाप की गुलाम और पाप में मरी हुई इच्छा को तोड़ दिया (यजेहकेल 36:25-27) और मुझे बदल दिया। आपके अनुगृह की महिमा और स्तुति हमेशा तक करने के लिए मेरी मदद कीजिये।
शिक्षाएं (Doctrines Involved in this Devotional):
मनुष्य की सम्पूर्ण भ्रष्टता की शिक्षा, अनुगृह की शिक्षा, उद्धार की शिक्षा, परमेश्वर की सम्प्रभुता और पूर्वनिर्धारण की शिक्षा (Doctrine of Total Depravity, Doctrine of Grace, Doctrine of Salvation, Doctrine of God’s Sovereignty and Predestination)
अधिक अध्ययन करने के लिए
आपने परमेश्वर को चुना या उसने आपको?:
https://logosinhindi.com/whose-choice-saved-you-yours-or-gods-hindi/
उद्धार में परमेश्वर की सम्प्रभुता:
https://logosinhindi.com/gods-sovereignty-in-salvation/
What Is Free Will?: Chosen By God with R.C. Sproul: https://www.youtube.com/watch?v=bcyttnC6cjg
Does God give people free will? By John MacArthur:
https://www.ligonier.org/learn/qas/does-god-give-people-free-will/
R.C. Sproul: If God is Sovereign, How Can Man Be Free?: https://www.youtube.com/watch?v=wQ5cclvdWjo
Do We Have Free Will to Choose Christ? // Ask Pastor John: https://www.youtube.com/watch?v=63E321_mFeI
Lovely statement
Thank you very much.