Reformed baptist church in jaipur

सम्पूर्ण भ्रष्टता या असमर्थता साप्ताहिक शैक्षणिक भक्ति सन्देश (सप्ताह -6)

सम्पूर्ण भ्रष्टता या असमर्थता का अर्थ है कि मनुष्य पूरी तरह भ्रष्ट या पापों में मरा हुआ है. वह परमेश्वर को नहीं चुन सकता, ना ही वह परमेश्वर के पास आना चाहता है. उसके महान से महान कार्य परमेश्वर की नज़रों में पाप है, क्योंकि जो विश्वास से नहीं और परमेश्वर की महिमा के लिए नहीं, वो सब पाप है. मनुष्य जन्म से ही पाप में मरा हुआ है और वो अपने को नहीं बदल सकता; ना ही बदलना चाहता है. वह जान बूझ कर स्वेच्छा से परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह कर रहा है. इस शिक्षा को हम बाइबल की हर किताब में बहुतायात और स्पष्टता के साथ देख सकते हैं. आइये हम उनमे से कुछ साक्षी आयतों (prooftexts) का अध्ययन करते हैं :

कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं। कोई समझदार नहीं, कोई परमेश्वर का खोजने वाला नहीं। सब भटक गए हैं, सब के सब निकम्मे बन गए, कोई भलाई करने वाला नहीं, एक भी नहीं। उन का गला खुली हुई कब्र है: उन्होंने अपनी जीभों से छल किया है: उन के होठों में सापों का विष है. और उन का मुंह श्राप और कड़वाहट से भरा है। उन के पांव लोहू बहाने को फुर्तीले हैं। उन के मार्गों में नाश और क्लेश हैं। उन्होंने कुशल का मार्ग नहीं जाना। उन की आंखों के साम्हने परमेश्वर का भय नहीं  (रोमियों 3:10-18)

उपर्युक्त आयतें स्पष्ट कर देती हैं कि कोई भी परमेश्वर को नहीं खोजता। इसका अर्थ यह है कि यदि पापी का उद्धार होना है, तो उसके लिए परमेश्वर को ही काम करना होगा। मनुष्य में यह क्षमता नहीं कि वो परमेश्वर को चाहे या खोजे। इन आयतों में पापों का भी जिक्र है। सब मनुष्य पापी हैं, पर सब के अंदर पाप करने की जितनी योग्यता है, वो उतना पाप नहीं कर पाते।  परमेश्वर का सामान्य अनुगृह उनको रोके रहता है।

क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है, क्योंकि तो परमेश्वर की व्यवस्था के आधीन है, और हो सकता है। और जो शारीरिक दशा में है, वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते। (रोमियों 8:7-8)

परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उस की दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उन की जांच आत्मिक रीति से होती है। (1 कुरिन्थियों 2:14)

ऊपर दी गई आयतें साफ़ साफ़ कहती है कि स्वाभाविक/शारीरिक मनुष्य परमेश्वर की बातों को न तो ग्रहण करता है, ना कर सकता है। ऐसा क्यों ? क्योंकि वो शारीरिक रूप से तो ज़िंदा है परन्तु आत्मिक रूप से मरा हुआ है अर्थात परमेश्वर से अलग और उसका दुश्मन है:

और उस ने तुम्हें………………….  जो अपने अपराधों और पापों में मरे हुए थे। (इफिसियों 2:1)

आइये एक और आयत पढ़ते हैं:

क्या हबशी अपना चमड़ा, वा चीता अपने धब्बे बदल सकता है? यदि वे ऐसा कर सकें, तो तू भी, जो बुराई करना सीख गई है, भलाई कर सकेगी। (यिर्मयाह 13:23)

जैसे हब्शी व्यक्ति अपनी चमड़ी का रंग नहीं बदल सकता और चीता अपने शरीर पर के धब्बे नहीं बदल सकता, उसी तरह कोई भी पापी परमेश्वर को नहीं खोज सकता।

यदि परमेश्वर हम को हमारी आत्मिक मृत्यु की दशा में छोड़ दे, तो हम सीधे नरक जाएंगे- परमेश्वर को नहीं चाहने और उसके खिलाफ पाप करने के लिए। लेकिन दया के धनी परमेश्वर का धन्यवाद हो की उसने हमे जब हम पापों में मरे हुए थे, तो हमे अपने अनुगृह के द्वारा जिलाया और बचा लिया :

परमेश्‍वर ने जो दया का धनी है, अपने उस बड़े प्रेम के कारण जिस से उसने हम से प्रेम किया, जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे तो हमें मसीह के साथ जिलाया (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है) (इफिसियों  2:4-5)

परमेश्वर का धन्यवाद हो की परमेश्वर ने हमे चुना और आत्मिक रूप से जन्मा दिया ताकि हम लोग विश्वास कर सकें और उसके साथ सदा के लिए जी संकें।

प्रोत्साहन: आपने देखा की हम परमेश्वर से दूर थे और उसके दुश्मन थे। हम पापों में मरे हुए थे। परमेश्वर की स्तुत्ती हो हमको चुनकर आत्मिक रूप से जिलाने के लिए। चूँकि अब हम आत्मिक रूप से ज़िंदा हैं, तो उस आत्मा के अनुसार परमेश्वर में पवित्रता और आनंद से जी संकें।

उदहारण प्रार्थना: है पिता, यदि आप मुझे आत्मिक रूप से नहीं जिलाते, तो मैं नरक में जाता। परन्तु आपका धन्यवाद मुझे मेरी सम्पूर्ण भ्रष्टता के वश से निकाल कर आपके प्रति आज्ञाकारी बनाने के लिए। अपने आत्मा के द्वारा आपकी महिमा करने में मेरी मदद कीजिये।

शिक्षाएं (Doctrines Involved in this Devotional): सम्पूर्ण भ्रष्टता या असमर्थता की शिक्षा (The Doctrine of Total Depravity)

अधिक अध्ययन करने के लिए:

John MacArthur on Total Depravity:

https://www.youtube.com/watch?v=A22pxQ25HvE

https://www.youtube.com/watch?v=aTqimCh4OnA

https://www.youtube.com/watch?v=nBHIslbtuo4

https://www.gty.org/library/sermons-library/90-276/the-doctrine-of-absolute-inability

R C Sproul on Total Depravity:

https://www.youtube.com/watch?v=RvUpyxnqAow&list=PL30acyfm60fXICLFyvTlD36Bh-ypGcrXe&index=7

https://www.youtube.com/watch?v=zPVkhssUv5I&list=PL30acyfm60fXICLFyvTlD36Bh-ypGcrXe&index=8

LogosInHindi  on Total Depravity:

Logos in hindi total depravity

 

 

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