ईफिशियों की पत्री की परीक्षा Welcome to your इफीशियों की पत्री की परीक्षा Name Email 1. जैसा उसने हमें .......... से पहले उसमें चुन लिया कि हम उसकी दृष्टि में पवित्र और निर्दोष हों। पापों में गिरने मसीह में आने अधीन होने जगत की उत्पति 2. परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण जिससे उसने हम से प्रेम किया, जब हम -------------------- तो हमें मसीह के साथ जिलाया; अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है धार्मिकता का जीवन जी रहे थे पश्चाताप कर रहे थे अपराधों के कारण मरे हुए थे लगातार धार्मिक कामों में प्रयत्नशील थे 3. अर्थात् यह कि मसीह यीशु में ........ के द्वारा अन्यजातीय लोग विरासत में सहभागी, और एक ही देह के और प्रतिज्ञा के भागी हैं। और मैं परमेश्वर के अनुग्रह के उस दान के अनुसार, जो सामर्थ्य के प्रभाव के अनुसार मुझे दिया गया, उस .........का सेवक बना। प्रेम पश्चाताप सुसमाचार परमेश्वर 4. इसलिए मैं जो प्रभु में बन्दी हूँ तुम से विनती करता हूँ कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो, अर्थात् सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से - एक दूसरे की सह लो एक दूसरे को समझाओ एक दूसरे का न्याय करो एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो 5. जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार, अशुद्ध काम और लोभ की चर्चा तो हो पर काम ना हो। उपरोक्त वचन है सत्य असत्य 6. वह कौनसी आज्ञा है, जिसके साथ प्रतिज्ञा भी है कि तेरा भला हो और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे? अपनी माता और पिता का आदर कर कोई भी किसी भी प्रकार की मूर्ति खोदकर ना बनाना अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम कर परमेश्वर से अपने सम्पूर्ण अस्तित्व से प्रेम कर 7. और प्रेम में उसने ........ के भले अभिप्राय के अनुसार हमें अपने लिये पहले से ठहराया कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों, अपनी इच्छा पवित्र आत्मा मसीह अपने ज्ञान 8. जिनमें तुम पहले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के अधिपति अर्थात् उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा माननेवालों में कार्य करता है। उपरोक्त वचन है - असत्य सत्य 9. इसलिए मैं विनती करता हूँ कि जो क्लेश तुम्हारे लिये मुझे हो रहे हैं, उनके कारण साहस न छोड़ो, क्योंकि उनमें तुम्हारी - छुटकारा है। प्रगति है। वीरता है। महिमा है। 10. और मेल के बन्धन में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो।.... ही देह है, और.... ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से.... ही आशा है।..... ही प्रभु है,.... ही विश्वास,.... ही बपतिस्मा, और सब का..... ही परमेश्वर और पिता है, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में, और सब में है। सभी यीशु एक वचन 11. निम्न में से किस की मसीह और परमेश्वर के राज्य में विरासत नहीं? लोभी मनुष्य अशुद्ध जन तीनों व्यभिचारी 12. और हे पिताओं, ....... परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चेतावनी देते हुए, उनका पालन-पोषण करो। अपने बच्चों को सिर्फ शारीरिक भोजन ही ना खिलाओ अपने बच्चों को कभी मत डांटो अपने बच्चों को रिस न दिलाओ अपने बच्चों को छड़ी से मत मारो 13. हमको मसीह में पृथ्वी पर चमत्कारी रूप से हमेशा के लिए शारिरीक चंगाई परमेश्वर के अनुग्रह के धन के अनुसार मिली है। उपरोक्त वचन है - असत्य सत्य 14. इनमें हम भी सब के सब पहले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएँ पूरी करते थे, और अन्य लोगों के समान स्वभाव ही से ....... की सन्तान थे। प्रेम क्रोध परमेश्वर दया 15. कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्व में सामर्थ्य पा कर......... होते जाओ अस्थिर बलवन्त कमजोर दीन 16. मसीह ने हमारे लिए निम्न में से किसको वरदान के रूप में नियुक्त नहीं किया हैं , जिससे पवित्र लोग सिद्ध हो जाएँ और सेवा का काम किया जाए, और मसीह की देह उन्नति पाए- नबी सुसमाचार प्रचारक शिक्षक प्रेरित विडियो एडिटर 17. हे पत्नियों, अपने-अपने पति के ऐसे अधीन रहो, जैसे ......... के। क्योंकि पति तो पत्नी का सिर है जैसे कि मसीह कलीसिया का सिर है; और आप ही देह का उद्धारकर्ता है। पर जैसे कलीसिया मसीह के अधीन है, वैसे ही पत्नियाँ भी ....... में अपने-अपने पति के अधीन रहें। पिता, कलीसिया प्रभु, सभी बातों में पुत्र, कभी - कभी पवित्र आत्मा , कुछ बातों में 18. और परमेश्वर को प्रसन्न करनेवालों के समान दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मनुष्य के दासों के समान मन से अपने स्वामियों की इच्छा पर चलो, और उस सेवा को प्रभु की नहीं, परन्तु मनुष्य की जानकर सुइच्छा से करो। उपरोक्त वचन है - सत्य असत्य 19. उसने अपनी इच्छा का भेद, अपने भले अभिप्राय के अनुसार हमें बताया, जिसे उसने अपने आप में ठान लिया था, कि परमेश्वर की योजना के अनुसार, समय की पूर्ति होने पर, जो कुछ ...... में और जो कुछ ......... में है, सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे। वर्तमान , भविष्य पाप , पवित्रता स्वर्ग , पृथ्वी समझ, ज्ञान 20. क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं वरन् .......... का दान है; और न ....... के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे। पवित्र आत्मा, मसीह पश्चाताप , प्रार्थना कर्मों , मसीह परमेश्वर , कर्मों 21. और ........ के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम ....... में जड़ पकड़कर और नींव डालकर, सब पवित्र लोगों के साथ भली-भाँति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊँचाई, और गहराई कितनी है। विश्वास , प्रेम पवित्र आत्मा, वचनों कर्मों , वचन वचन, विश्वास 22. क्रोध तो करो, पर पाप मत करो; सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध रहे। उपरोक्त वचन है असत्य सत्य 23. पतियों को अपनी-अपनी पत्नी से किस प्रकार प्रेम रखने के लिए आदेश है ? मसीह का अविश्वासीयों के प्रति प्रेम के समान मसीह का वचन के प्रति प्रेम के समान मसीह का कलीसिया के प्रति प्रेम के समान मसीह का पिता के प्रति प्रेम के समान 24. क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध लहू और माँस से नहीं, परन्तु - दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से तीनों से संसार के अंधकार के शासकों से प्रधानों से और अधिकारियों से 25. और सब कुछ मसीह पाँवों तले कर दिया और मसीह को सब वस्तुओं पर शिरोमणि ठहराकर किस को दे दिया ? प्रेरितों को कलीसिया को पासवान को पिता को 26. क्योंकि वही हमारा मेल है, जिसने ........ और ........ को एक कर दिया और अलग करनेवाले दीवार को जो बीच में थी, ढा दिया। धनवानों, गरीबों यहूदियों, अन्यजातियों प्रेम करने वालों और नफरत करने वालों विश्वासियों , सामरियों 27. अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी विनती और समझ की अधीनता में काम कर सकता है, उस सामर्थ्य के अनुसार जो हम में कार्य करता है, उपरोक्त वचन है - सत्य असत्य 28. इस कारण झूठ बोलना छोड़कर, हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के..............। अधीन हैं सेवक हैं उपकारक हैं अंग हैं 29. इफिसियों 6 के अनुसार निम्न में से कौनसा असंगत/बेमेल है - उद्धार का टोप विश्वास की ढाल सत्य की तलवार धार्मिकता की झिलम 30. और जैसे मसीह ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे का न्याय करो। उपरोक्त वचन है- असत्य सत्य 31. मसीह अपनी कलीसिया को ......... के द्वारा जल के स्नान से शुद्ध करके पवित्र बनाए, और उसे एक ऐसी तेजस्वी कलीसिया बनाकर अपने पास खड़ी करे, जिसमें न कलंक, न झुर्री, न कोई ऐसी वस्तु हो, वरन् पवित्र और निर्दोष हो। वचन दया वरदान प्रेम 32. इस कारण पुरुष माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा, और वे दोनों एक तन होंगे।” उपरोक्त वचन है - असत्य सत्य
Sabko jai masih ki
Sabko Jay masih ki
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