Reformed baptist church in jaipur

new life and baptism

नया जीवन और बपतिस्मा

(रोमियो 6:3-4)
दो प्रकार के बपतिस्मा के बारे में हम सुनते है:
1- छिड़काव का बपतिस्मा
कुछ ईसाई पंथों (denominations) में नवजात शिशु या नए विश्वासी को छिड़काव का बपतिस्मा देने की प्रथा है परन्तु बाइबल में इस प्रकार का बपतिस्मा देने का कहीं कोई प्रावधान नहीं है अर्थात यह बाइबल के विपरीत है।

2- डुबकी का बपतिस्मा
दूसरा बपतिस्मा है डुबकी का बप्तीस्मा। इस बपतिस्मे में पानी में डुपकी का मतलब है मसीह के साथ मरना और गाड़ा जाना एवं पानी से बाहर आने का मतलब है मसीह के साथ जी उठना।
इसलिए डुबकी का बपतिस्मा ही एक मात्र तरीका है जो मसीह के साथ गाड़े जाने और वापस जी उठने को दर्शाता है जैसा कि रोमियो 6:3-4 में लिखा है:
हम, जिन्होंने यीशु मसीह में बपतिस्मा पाया है, उसकी मृत्यु का बपतिस्मा पाया है। सो उसकी मृत्यु में बपतिस्मा पाने से हम भी उसके साथ ही गाड़ दिये गये ताकि जैसे परमपिता की महिमामय शक्ति के द्वारा यीशु मसीह को मरे हुओं में से जिला दिया गया था, वैसे ही हम भी एक नया जीवन पायें। (रोमियो 6:3-4 में पानी के बपतिस्मे की बात नहीं हो रही पर आत्मिक बपतिस्मे की बात हो रही है, जो परमेश्वर उद्धार के समय हमे देता है. इस बपतिस्मे में हमारा पुराना मनुष्यत्व मर जाता है और नया आत्मिक मनुष्यत्व जी उठता है. पानी के बपतिस्मे में हम इसी आत्मिक बपतिस्मे को दर्शाते हैं.)

बपतिस्मे से उद्धार?
बपतिस्मा उद्धार पाने के लिए आवश्यक नहीं क्योंकि उद्धार अनुग्रह से होता है (इफिसियों 2:8-9; तितुस 3:5), पर उद्धार पाए हुए को वचन की आज्ञानुसार अपने विश्वास की प्रकट में उद्घोषणा करना है जो यह दर्शाता है कि हम पुरानी आत्मिक मृत्यु से जिलाये गए हैं और मसीह में एक नई सृष्टि बन गए हैं (2 कुरूंथियों 5:17)।

दुबारा बपतिस्मा?

सामान्य प्रश्न यह आता है कि अगर किसी ने बपतिस्मा पहले किसी के दबाव में, बिना पूरी समझ और ज्ञान के, बचपन में या फिर उद्धार पाने से पहले ही ले लिया तो क्या करें?
ध्यान से समझिए, बपतिस्मा का उद्देश्य ही नए जीवन का प्रतीक प्रस्तुत करना है और अगर किसी ने नया जीवन पाया ही नहीं है तो फिर कैसा प्रतीक प्रस्तुत करना?
जो मसीह में मरा ही नहीं तो फिर मसीह में जीएगा कैसे ?
जो काम हुआ ही नहीं तो उसे प्रदर्शित कैसे करें?

जब आपका उद्धार नहीं हुआ था और आप फिर भी अपने आप को मसीही बताते थे तो वह नकली मसीहीपन था। अब जब आप परमेश्वर की दया से असली मसीही बन गए हो (इफिसियों 2:8-9; तितुस 3-5) तो फिर तो आपको गवाही के साथ बपतिस्मा लेना चाहिए ताकि बाकी लोगों को आपके वास्तविक परिवर्तित जीवन के बारे में पता लगे और आप अपने नए हो जाने को परमेश्वर की महिमा के लिए प्रदर्शित करें और जो अभी भी नकली और मात्र दिखावे का मसीही जीवन जी रहे हैं उन्हें भी ज्ञात हो कि सच्ची मसीहियत क्या है और उन्हें भी मन फिराने का सन्देश मिल सके। आपकी गवाही के द्वारा नामधारी मसीहियों की आंखें खुल सके कि वास्तविकता में मसीही होने का मतलब मसीही परिवार में जन्म होना सिर्फ चर्च में उपस्थित होना, बाइबल पढ़ लेना, सन्डे स्कूल में आना, किसी प्रोग्राम में भाग लेना, दान दशमांश देना, जय मसीह की बोलना, मधुर आवाज और मसीही तमीज़ के द्वारा अपने अंदर की सड़ाहट को छुपाना, रटी रटाई प्रार्थना करना, ऐसी अन्य अन्य गतिविधियों में भाग लेना नहीं है. अनेक धर्मों के लोग भी तो बहुत सारे धार्मिक काम और अनेक गतिविधियां करते हैं तो क्या उनका भी उद्धार हुआ है? ऐसी बहुत सारी गतिविधियां तो फरीसी लोग भी करते थे और बहुत अच्छे से करते थे, लेकिन उनके मन नहीं बदले थे तभी तो ऐसे काम करने वालों को मसीह ने फटकार लगाई गई थी (मती 3:7-8; मती 23).

new life and baptism

मेरे कहने का तात्पर्य समझिए:
हम सब बहुत अच्छे से दिखावा करना जानते है. खुद को देखिए क्या आप नाटक नहीं करते? अपने गलत कामों को छुपा कर अपने आप को अच्छा दिखाने का भरसक प्रयास नहीं करते? हम सब ढोंगी है इसीलिए जो दिखाई दे वो जरूरी नहीं कि सच हो ( 2 कुरूंथियो 13:5).
निसंदेह हमे धार्मिकता के काम करने है और तमाम मसीही गतिविधियां में भाग भी लेना है, पर धोखे में नहीं जीना, क्योंकि सच्चा मसीही होना बिल्कुल नया होना है. यदि कोई अब चर्च में पाया जाता है और फिर भी वैसे ही जीता है जैसे पहले जीता था, वैसे ही बातें करता है, वैसे ही काम करता है, उसे अब भी संसार से उतना ही प्यार है, तो वो नई सृष्टि कैसे हुआ ? वह तो फरीसी ही है और सांसारिक मनुष्य ही है और अभी भी अपने पापों में मरा हुआ है पर दिखावे के लिए मसीह के नाम का चोगा पहना हुआ है. ऐसे लोग उनमें से है जो नरक में ज्यादा सजा पाएंगे अगर समय रहते अपने पुराने कामों से मन ना फिराएंगे तो (इब्रानियों 10:26-31).

क्योंकि परमेश्वर काम करें और परिवर्तन ना हो,
असम्भव !
(2 कुरुंथियों 5:17)

-सौरभ मांडन

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