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राजा जो अपने शत्रुओं के लिए मरा

राजत्व पवित्रशास्त्र बाइबल के मुख्य विषयों में से है। परमेश्वर स्वयं अनादि कल से अनंत काल तक सनातन संप्रभु महाराजा है। परन्तु सृष्टि के साथ उसके अन्तर्व्यवहार में उसने मानव इतिहास में बहुतों को बहुत तरह के अधिकार दिए हैं। आरम्भ में उसने आदम को उप-राजा बनाया था।  उसको परमेश्वर ने पृथ्वी पर राज करने की आज्ञा दी थी (उत्पत्ति 1:26-28), परन्तु पाप के कारण मनुष्य और सारी सृष्टि शापित हो गई और परमेश्वर ने अपनी सम्प्रभुता में शैतान को पृथ्वी पर अधिकार दे दिया (लुका 4:6; 2 कुरिन्थियों 4:4; यूहन्ना 12:31)। परन्तु आदम से लेकर आज तक जितने लोग उद्धार पाते हैं, वे तुरंत से शैतान के राज्य से निकलकर परमेश्वर के राज्य में हस्तांतरित कर दिए जाते हैं (कुलुस्सियों 1:13)। पुराने नियम में अब्राहम को बुलाने के बाद परमेश्वर ने पितृसत्ताओं (patriarchs) को और बाद में न्यायियों को इज़राइल का राज सौंपा। बाद में इज़राइल के लोगों ने परमेश्वर से संसार के बाकी राष्ट्रों जैसा राजा माँगा।  राजा मांगना गलत नहीं था। राजा देने की प्रतिज्ञा तो परमेश्वर ने उनके पितरों से की थी (उत्पत्ति  34:11; 49:10) पर वे संसार के राजाओं जैसा राजा चाहते थे, परमेश्वर के मन के अनुसार राजा नहीं चाहते थे।  परमेश्वर ने उन्हें शाऊल राजा के रूप  में दे दिया, जो की दुष्ट था। परन्तु फिर परमेश्वर ने अपनी दया में दाऊद को राजा के रूप में खड़ा किया।  वह परमेश्वर के मन के अनुसार राजा था (1 शमूएल 13:14)।  वह धर्मी था, प्रेमी था, दयालु था, बहादुर था, त्यागमय था, पर वह सिद्ध नहीं था और उसका राज्य सदा तक नहीं रह सकता था। तथापि परमेश्वर ने उससे वाचा बाँधी कि सदाकालीन राजा उसके वंश  में पैदा होगा (2 शमूएल 7:16)। वह आने वाले राजा की छांया था।  वह परमेश्वर के मन के अनुसार राजा था, पर उसके वंश में ऐसा राजा पैदा होगा जो सिद्ध रूप से परमेश्वर के मन के अनुसार होगा।  वह राजा यीशु मसीह है।  

यीशु मसीह राजा तो है, परन्तु वह अद्वितीय राजा है। संसार के राजा अपने शत्रुओं को मारकर और दूसरों की कीमत पर राजा बनते हैं। कई बार तो वे अपनी प्रजा की कीमत पर या परिवार के अन्य उत्तराधिकारियों की जान लेकर राजा बनते हैं और उनको जितनी सामर्थ मिलती है, वे उतने ही भ्रष्ट होते जाते हैं। परन्तु यीशु मसीह अलग तरह का राजा है।  उसने अपने शत्रुओं को अपनी प्रजा होने के लिए चुना और जब हम उसके शत्रु ही थे, तो हमें बचाने के लिए उसने अपने प्राण दे दिए (रोमियों 5:10)। ये राजा हमसे प्रेम करता है और हमारी परवाह करता है।  इस राजा ने अपनी मृत्यु के द्वारा परमेश्वर और हमारे बीच की शत्रुता को मिटा दिया और हमारे दुष्ट शत्रु शैतान, पाप, संसार और मृत्यु पर विजय पा ली।  क्या हम इस अनंत धर्मी, अनंत प्रेमी, अनंत दयालु, अनंत बहादुर, अनंत त्यागमय राजा की आराधना नहीं करेंगे, जो हमारे लिए मरा और फिर सदा के लिए जीवित हो गया और जिसको सृष्टि पर सर्वोच्च अधिकार है ? 

अद्भुत प्रेम, ऐसा कैसे हो सकता है?

कि तू, मेरे राजा, मेरे लिए मरा?

अद्भुत प्रेम, मुझे पता है यह सच है। 

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