पैराग्राफ़ -1
(i) अस्थायी विश्वासी और अन्य नया जन्म न पाए हुए लोग झूठी आशाओं और शारीरिक धारणाओं के साथ खुद को व्यर्थ में धोखा दे सकते हैं कि उनके पास परमेश्वर का अनुग्रह और उद्धार है, लेकिन उनकी आशा नष्ट हो जाएगी। (ii) फिर भी जो लोग वास्तव में प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं और उसके सामने सम्पूर्ण रूप से अच्छे विवेक के साथ चलने का प्रयास करते हुए उससे सत्य-निष्ठा के साथ प्यार करते हैं, वे इस जीवन में निश्चित रूप से आश्वस्त हो सकते हैं कि वे अनुग्रह की स्थिति में हैं। वे परमेश्वर की महिमा की आशा से आनन्दित हों, (iii) और यह आशा उन्हें कभी लज्जित न करेगी।
(i) अय्यूब 8:13, 14; मत्ती 7:22, 23
(ii) 1 यूहन्ना 2:3; 3:14, 18, 19, 21, 24; 5:13
(iii) रोमियों 5:2, 5
पैराग्राफ़ -2
(i) यह निश्चितता केवल एक अनिर्णायक या किसी नष्ट होने में सक्षम आशा पर आधारित संभावित विचार नहीं है। (ii, iii) यह सुसमाचार में प्रकट मसीह के लहू और धार्मिकता पर आधारित विश्वास का एक अचूक आश्वासन है। यह आत्मा के उन अनुग्रहों के आंतरिक साक्ष्य पर भी आधारित है जिनके बारे में वादे किए गए हैं। (iv) इसके साथ साथ यह लेपालकपन के आत्मा की गवाही पर आधारित है, जो हमारे आत्माओं को गवाही देता है कि हम परमेश्वर की संताने हैं। (v) इस आश्वासन के फलस्वरुप, हमारे ह्रदय विनम्र और पवित्र दोनों बने रहते हैं।
(i) इब्रानियों 6:11, 19
(ii) इब्रानियों 6:17, 18
(iii) 2 पतरस 1:4, 5, 10, 11
(iv) रोमियों 8:15, 16
(v)1 यूहन्ना 3:1-3.
पैराग्राफ़ -3
(i) यह अचूक आश्वासन विश्वास का इतना आवश्यक हिस्सा नहीं है कि इसे हमेशा विश्वास के साथ-साथ पूरी तरह से अनुभव किया जा सके, लेकिन सच्चे विश्वासियों को इसे प्राप्त करने से पहले लंबे समय तक इंतजार करना पड़ सकता है और कई कठिनाइयों से संघर्ष करना पड़ सकता है। (ii) फिर भी परमेश्वर द्वारा उन्हें निशुल्क और उदारता से दी गई वस्तुओं को जानने के लिए आत्मा के द्वारा दी जाने वाली योग्यता के द्वारा वे बिना किसी असाधारण प्रकाशन के उचित रूप से सामान्य साधनों का उपयोग करके इस आश्वासन को प्राप्त कर सकते हैं। (iii) इसलिये सब का यह कर्त्तव्य है कि अपने बुलाए जाने और चुने जाने को सुनिश्चत/सिद्ध करने के लिये यथासंभव परिश्रम करें। इस तरह उनके हृदय पवित्र आत्मा में शांति और आनंद में, परमेश्वर के प्रति प्रेम और कृतज्ञता में और आज्ञाकारिता के कर्तव्यों में शक्ति और प्रसन्नता में बढ़ सकें। ये प्रभाव इस आश्वासन के स्वाभाविक फल हैं। (iv) इस प्रकार यह विश्वासियों को लापरवाही करने के लिए बिल्कुल भी प्रोत्साहित नहीं करता है।
(i) यशायाह 50:10; भजन 88; 77:1-12
(ii) 1 यूहन्ना 4:13; इब्रानियों 6:11, 12
(iii) रोमियों 5:1, 2, 5; 14:17; भजन 119:32
(iv) रोमियों 6:1,2; तीतुस 2:11, 12, 14
पैराग्राफ़ -4
(i) सच्चे विश्वासियों में उद्धार का आश्वासन विभिन्न तरीकों से हिल सकता है, कम हो सकता है, या अस्थायी रूप से खो सकता है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि वे इसे संरक्षित करने के कार्य की उपेक्षा करते हैं (ii) या किसी विशेष पाप में पड़ जाते हैं जो उनके विवेक को चोट पहुँचाता है और पवित्र आत्मा को शोकित करता है। (iii) यह किसी अप्रत्याशित या शक्तिशाली प्रलोभन के माध्यम से हो सकता है (iv) या जब परमेश्वर अपने मुख का प्रकाश हटा लेता है और अपने डरवैयों को भी अँधेरे में चलने देता है और प्रकाश से दूर रहने देता है। (v) फिर भी उनमें कभी भी परमेश्वर के बीज, (vi) विश्वास के जीवन, (vii) मसीह और भाइयों के प्रति प्रेम, हृदय की सत्य-निष्ठा, या अपने कर्तव्य के संबंध में विवेक की पूरी तरह कमी नहीं होती है। इन अनुग्रहों के माध्यम से आत्मा के कार्य के द्वारा इस आश्वासन को उचित समय पर पुनर्जीवित किया जा सकता है। (viii) इस बीच उन्हें इनके कारण आने वाली निराशा में पूरी तरह जाने से बचाया जाता है।
(i) श्रेष्ठ गीत 5:2, 3, 6
(ii) भजन 51:8, 12, 14
(iii) भजन 116:11; 77:7, 8; 31:22;
(iv)भजन 30:7
(v) 1 यूहन्ना 3:9
(vi) लूका 22:32
(vii) भजन 42:5, 11
(viii)विलाप 3:26-31