Reformed baptist church in jaipur

क्या पवित्र आत्मा पुराने नियम के संतों में वास करता था? 

जैसा कि जॉन मैकार्थर और रिचर्ड मेह्यू अपने व्यवस्थित धर्मशास्त्र, बाइबिल सिद्धांत में कहते हैं, हमें दो विपरीत ध्रुवीय चरमों (पूर्ण रूप से विपरीत बातों)  से बचने की जरूरत है। एक चरम यह है कि जो कुछ नए नियम में हुआ वह पुराने नियम में भी हुआ था। शायद परिमाण/मात्रा के अलावा और कोई अंतर नहीं है। दूसरा चरम यह कहना है कि नए नियम में पवित्र आत्मा का कार्य पुराने नियम से बिल्कुल अलग है। बाइबल कुछ क्षेत्रों में निरंतरता दिखाती है और कुछ में नहीं। इसे ध्यान में रखते हुए, आइए इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करें:  

नहीं, सामान्यतया पुराने नियम के संतों में पवित्र आत्मा का निवास  नहीं था। वह उन्हें नया जन्म  देता था और उन्हें पवित्र करता था। वह उनके मध्य में भी रहता था, परन्तु उनमें निवास नहीं करता था। निम्नलिखित पुराने नियम की आयतें इसकी पुष्टि करती हैं।

‘और मैं इस्राएलियों के मध्य निवास करूँगा, और उनका परमेश्‍वर ठहरूँगा। ‘ (निर्गमन 29:45)

‘और मैं तुम्हारे मध्य चला फिरा करूँगा, और तुम्हारा परमेश्‍वर बना रहूँगा, और तुम मेरी प्रजा बने रहोगे। ‘  (लैव्यव्यवस्था 26:12)

लेकिन इसके कुछ अस्थायी प्रकृति के अपवाद भी थे। यह कहा गया  है कि यहोशू में आत्मा का वास था।

यहोवा ने मूसा से कहा, “तू नून के पुत्र यहोशू को लेकर उस पर हाथ रख; वह ऐसा पुरुष है जिसमें मेरा आत्मा बसा है;  (गिनती 27:18)

परमेश्वर के आत्मा ने यहेजकेल में प्रवेश किया:

जैसे ही उसने मुझ से यह कहा, त्योंही आत्मा ने मुझ में समाकर मुझे पाँवों के बल खड़ा कर दिया; और जो मुझ से बातें करता था मैं ने उसकी सुनी। (यहेजकेल 2:2)

कृपया ध्यान दें कि यह यह नहीं कहता  कि आत्मा भविष्यवक्ता में स्थायी रूप से वास करता था। उसने बस एक विशेष उद्देश्य के लिए कुछ समय के लिए उसमें प्रवेश किया था। हम यह भी जानते हैं कि आत्मा ने कुछ समय बाद उसे छोड़ दिया था, क्योंकि उसने अध्याय 3 में एक अलग अवसर पर उसमें पुनः प्रवेश किया था।

‘तब आत्मा ने मुझ में समाकर मुझे पाँवों के बल खड़ा कर दिया; फिर वह मुझ से कहने लगा, “जा अपने घर के भीतर द्वार बन्द करके बैठ रह। ‘ (यहेजकेल 3:24)

परमेश्वर का आत्मा शाऊल से भी, जिस पर वह आया था, चला गया। (आत्मा उसमें नहीं, बल्कि उस पर आया था, क्योंकि वह सच्चा विश्वासी नहीं था।)

यहोवा का आत्मा शाऊल पर से उठ गया, और यहोवा की ओर से एक दुष्‍ट आत्मा उसे घबराने लगा। (1 शमूएल 16:14)

दाऊद को डर था कि प्रभु अपना पवित्र आत्मा वापस ले लेगा। (यदि प्रभु ने ऐसा किया होता, तो यह उद्धार की हानि नहीं होती, बल्कि एक राजा के रूप में सेवकाई की हानि होती।)

मुझे अपने सामने से निकाल न दे,

और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से

अलग न कर।  (भजन संहिता 51:11)

पतरस पुराने नियम के भविष्यवक्ताओं में मसीह की आत्मा के बारे में बात करता है। 

इसी उद्धार के विषय में उन भविष्यद्वक्‍ताओं ने बहुत खोजबीन और जाँच–पड़ताल की, जिन्होंने उस अनुग्रह के विषय में जो तुम पर होने को था, भविष्यद्वाणी की थी। उन्होंने इस बात की खोज की कि मसीह का आत्मा जो उनमें था, और पहले ही से मसीह के दु:खों की और उसके बाद होनेवाली महिमा की गवाही देता था, वह कौन से और कैसे समय की ओर संकेत करता था। (1 पतरस 1:10-11)

इसका मतलब सिर्फ यह हो सकता है कि आत्मा उनके माध्यम से बोल रहा था। हमने ऐसे वाक्य सुने हैं: 

  • यह आप नहीं बोल रही हैं।  यह आपके अंदर की माँ है जो बोल रही है। 
  • उसके अंदर का बच्चा फूट-फूट कर रोने लगा।

हम यह नहीं कह सकते कि माँ या बच्चा वस्तुतः उनमें निवास करते हैं। उसी तरह, पतरस शायद आलंकारिक भाषा में बोल रहा हो। लेकिन भले ही हम पतरस के कथन का यह अर्थ लेते हैं कि आत्मा उनमें था (जो बहुत संभव है) जब वह उनके माध्यम से बोल रहा था, तो यह हमारे अभिकथन को नुकसान नहीं पहुँचाता है। जैसा कि हम यहेजकेल के मामले में देखते हैं, आत्मा ने सेवकाई के उद्देश्य से अस्थायी रूप से उनमें प्रवेश किया होगा। 

हम यह भी देखते हैं कि यूसुफ और दानिय्येल के बारे में कहा गया है कि उनमें पवित्र आत्मा का वास था।

‘इसलिये फ़िरौन ने अपने कर्मचारियों से कहा, “क्या हम को ऐसा पुरुष, जैसा यह है जिसमें परमेश्‍वर का आत्मा रहता है, मिल सकता है?” ‘ (उत्पत्ति 41:38)

अन्त में दानिय्येल मेरे सम्मुख आया, जिसका नाम मेरे देवता के नाम के कारण बेलतशस्सर रखा गया था, और जिस में पवित्र ईश्‍वरों की आत्मा रहती है; और मैं ने उसको अपना स्वप्न यह कहकर बता दिया : हे बेलतशस्सर, तू तो सब ज्योतिषियों का प्रधान है, मैं जानता हूँ कि तुझ में पवित्र ईश्‍वरों की आत्मा रहती है, और तू किसी भेद के कारण नहीं घबराता; इसलिये जो स्वप्न मैं ने देखा है उसे फल समेत मुझे बताकर समझा दे। (दानिय्येल 4:8-9)

अब, हम या तो इन बयानों को नजरअंदाज कर सकते हैं क्योंकि ये सृष्टि-उपासक राजाओं से आए थे, जो प्रभु को नहीं जानते थे या यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि इन दो व्यक्तियों में और उनके माध्यम से परमेश्वर का कार्य इतना स्पष्ट था कि सृष्टि-उपासक राजाओं ने भी महसूस किया और कहा कि उनमें एक ईश्वर का वास था। .लेकिन फिर से, यह असंभव है कि आत्मा उनमें स्थायी रूप से निवास कर रहा था । 

हमने यह भी देखा है कि आम तौर पर केवल नेताओं, भविष्यवक्ताओं,  राजाओं के विषय में ही लिखा है कि उनमें आत्मा था या वे अभिषिक्त थे। मूसा की इच्छा थी कि सभी इस्राएलियों को आत्मा का अभिषेक मिले ,

‘मूसा ने उससे कहा, “क्या तू मेरे कारण जलता है? भला होता कि यहोवा की सारी प्रजा के लोग नबी होते, और यहोवा अपना आत्मा उन सभों में समवा देता!” ‘ (गिनती 11:29)

जो प्रेरितों अध्याय 2 तक वास्तविकता नहीं बनती, जब योएल की भविष्यवाणी का एक हिस्सा सच होता है। प्रत्येक विश्वासी में वास करना तो दूर, पवित्र आत्मा पुराने नियम के प्रत्येक विश्वासी पर उनका अभिषेक करने के लिए भी नहीं आया। उसने केवल उन्हें नया जन्म दिया और उन्हें पवित्र किया, क्योंकि उद्धार का केवल एक ही तरीका है, अर्थात् पिता के द्वारा चुनाव, पुत्र के द्वारा छुटकारे का कार्य, और पवित्र आत्मा के द्वारा नया जन्म देने और पवित्रीकरण का कार्य।

आइए हम मैकआर्थर और मेह्यू के शब्दों के साथ निष्कर्ष निकालें कि पुराने नियम में आत्मा का निवास था : 

  • कभी कभी 
  • केवल इज़राइल में चुने हुए अगुओं में 
  • अस्थायी
  • सेवा के लिए एक सशक्तिकरण 

अब हम बहुत आयतें पढ़ेंगे, जो स्पष्ट रूप से साबित करती हैं कि आत्मा का स्थायी वास केवल नए नियम की वास्तविकता है। पुराने नियम में ही कहा गया है कि आत्मा का वास एक नई वाचा की वास्तविकता है: 

मैं तुम को नया मन दूँगा, और तुम्हारे भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूँगा, और तुम्हारी देह में से पत्थर का हृदय निकालकर तुम को मांस का हृदय दूँगा। मैं अपना आत्मा तुम्हारे भीतर देकर ऐसा करूँगा कि तुम मेरी विधियों पर चलोगे और मेरे नियमों को मानकर उनके अनुसार करोगे। (यहेजकेल 36:26-27)

मैं तुम में अपना आत्मा समाऊँगा, और तुम जीओगे; और तुम को तुम्हारे निज देश में बसाऊँगा; तब तुम जान लोगे कि मुझ यहोवा ही ने यह कहा, और किया भी है, यहोवा की यही वाणी है।” (यहेजकेल 37:147)

कोई भी वैध रूप से इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि उपरोक्त आयतें नई वाचा के बारे में बात कर रही हैं। यह नई वाचा के अंतर्गत ही है कि आत्मा विश्वासियों में वास करने के लिए आता है। आइए नए नियम से कुछ आयतें पढ़ें।

पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए।जो मुझ पर विश्‍वास करेगा, जैसा पवित्रशास्त्र में आया है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी’।” उसने यह वचन पवित्र आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्‍वास करनेवाले पाने पर थे; क्योंकि आत्मा अब तक न उतरा था, क्योंकि यीशु अब तक अपनी महिमा को न पहुँचा था। (यूहन्ना  7:37-39)

यीशु के शब्दों पर यूहन्ना की  प्रेरित टिप्पणी हमें बताती है कि आत्मा अभी तक विश्वासियों को वास करने के लिए नहीं दिया गया था। ‘उसके हृदय से जीवन के जल की नदियाँ बहेंगी’ — ये शब्द आत्मा के वास को संदर्भित करते हैं। ऐसा तब तक नहीं होगा  जब तक यीशु महिमान्वित  न हो जाए।

यीशु ने सामरी स्त्री  से कहा कि वह समय (चर्च युग) आ रहा है जब यरूशलेम के मंदिर में आराधना  समाप्त कर दी जाएगी (यूहन्ना 4:21) क्योंकि पवित्र आत्मा विश्वासियों में निवास करेगा और वे कहीं भी आराधना करने में सक्षम होंगे:

परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।” स्त्री ने उससे कहा, “हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊँ और न जल भरने को इतनी दूर आऊँ।” (यूहन्ना 4:14-15)

हाँ, अनन्त जीवन के लिए बहने वाले जल का सोता परमेश्वर पवित्र आत्मा है। पुरानी वाचा में परमेश्वर मंदिर में निवास करता था, लेकिन नई वाचा में वह हमें अपना निवास स्थान बना लेता है । जीवन का सोता हमारी देहों में रहता है।

क्या तुम नहीं जानते कि तुम परमेश्‍वर का मन्दिर हो, और परमेश्‍वर का आत्मा तुम में वास करता है? (1 कुरिन्थियों 3:16)

‘क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारी देह पवित्र आत्मा का मन्दिर है, जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्‍वर की ओर से मिला है; और तुम अपने नहीं हो? ‘ (1 कुरिन्थियों 6:19)

पाप न करने के कारण के रूप में आत्मा के वास के बारे में ऐसे प्रोत्साहन पुराने नियम में कभी नहीं दिए गए थे। पवित्र आत्मा वचन, भविष्यवाणियों और मंदिर की आराधना के माध्यम से उन पर बाहर से काम करके उन्हें पवित्र किया, लेकिन नई वाचा में, हमारे अंदर रहकर आत्मा पवित्र काम करता है। 

जबकि पुरानी वाचा में, आत्मा केवल अगुओं में वास करता हुआ बताया  गया था और वह भी अस्थायी रूप से विशेष सेवकाई के लिए सामर्थ देने के लिए, नई वाचा में कहा गया है कि आत्मा का वास वास्तव में इस बात का प्रमाण है कि हम उसके हैं।

परन्तु जब कि परमेश्‍वर का आत्मा तुम में बसता है, तो तुम शारीरिक दशा में नहीं परन्तु आत्मिक दशा में हो। यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं तो वह उसका जन नहीं। (रोमियों 8:9)

यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया, तुम में बसा हुआ है; तो जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी नश्‍वर देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है, (रोमियों 8:11)

न केवल हम व्यक्तिगत रूप से परमेश्वर के मंदिर हैं, बल्कि समग्र रूप से कलीसिया  भी परमेश्वर का मंदिर है। 

जिसमें तुम भी आत्मा के द्वारा परमेश्‍वर का निवास–स्थान होने के लिये एक साथ बनाए जाते हो। (इफिसियों 2:22)

यूहन्ना  7:37-39, जिसका ऊपर उल्लेख किया गया है, के साथ, यूहन्ना 14:39 सबसे बड़ा और सबसे निर्विवाद प्रमाण है कि पवित्र आत्मा का वास नई वाचा में शुरू हुआ:

अर्थात् सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है; तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा। (यूहन्ना 14:17)

अब, कौन यीशु के स्पष्ट शब्दों को नकारने का साहस करेगा: वह तुम्हारे साथ रहता है और  तुम्हारे अंदर रहेगा? पवित्र आत्मा पुरानी वाचा के संतों के साथ था, लेकिन वह नई वाचा के संतों में रहेगा और स्थायी रूप से रहेगा। 

पुरानी वाचा में, पवित्र आत्मा और उसका अभिषेक कुछ अगुओं पर आया, और मिशन के पूरा होने या संतों के कुछ पापों के कारण कई मामलों में उन्हें छोड़ भी दिया। लेकिन नई वाचा में आत्मा का वास और उसका अभिषेक हमेशा के लिए है:

‘परन्तु तुम्हारा तो उस पवित्र से अभिषेक हुआ है, और तुम सब कुछ जानते हो। ‘ (1 यूहन्ना 2:20)

परन्तु तुम्हारा वह अभिषेक जो उसकी ओर से किया गया, तुम में बना रहता है; और तुम्हें इसका प्रयोजन नहीं कि कोई तुम्हें सिखाए, वरन् जैसे वह अभिषेक जो उसकी ओर से किया गया तुम्हें सब बातें सिखाता है, और यह सच्‍चा है और झूठा नहीं; और जैसा उसने तुम्हें सिखाया है वैसे ही तुम उसमें बने रहते हो। (1 यूहन्ना 2:27)

फिर से आइए नई वाचा में अंतर्वासित पवित्र आत्मा के बारे में मैकआर्थर और मेह्यू के शब्दों के साथ अपनी बात समाप्त करें नई वाचा में पवित्र आत्मा का अंतर्वास है : 

  • सदैव उद्धार के समय से 
  • व्यक्तिगत रूप से सभी विश्वासियों में  
  • स्थायी रूप से/सदा के लिए 
  • सार्वभौमिक कलीसिया में भी सामूहिक रूप से 
  • पवित्र जीवन और फलदायी सेवा के लिए एक सशक्तिकरण

 

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