Reformed baptist church in jaipur

विश्वास वक्तव्य (Statement of Faith)

 पवित्रशास्त्र के विषय में

हम यह विश्वास करते हैं कि बाइबल की छिंयासठ पुस्तकें अपनी मूल भाषाओँ और परमेश्वर के द्वारा संरक्षित पांडुलिपियों में परमेश्वर के मुख से निकले सम्पूर्ण सृष्टि के लिए निर्णायक प्रकाशन हैं। बाइबल ही एक मात्र ग्रन्थ है जो जीवित, सच्चे और सृष्टिकर्ता परमेश्वर का विश्वासयोग्य प्रकाशन देता हैं। बाइबल पूरी हो चुकी है और यह सिर्फ उद्धार और पवित्रीकरण के लिए ही नहीं बल्कि महिमा में पंहुचने के दिन तक हर सच्चे उद्धार पाए मसीही को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त है, जिसमे कुछ जोड़ा और घटाया नहीं जा सकता।

 साक्षी आयतें: 2 पतरस 1:20-21; मत्ती 5:18; 24:35; यूहन्ना 10:35; 16:12-13; 17:17; 1 कुरिन्थियों 2:13; 2 तीमुथियुस  3:15-17

 

 परमेश्वर के विषय में

हम एक परमेश्वर में विश्वास करते हैं, जो अनादि काल से अनंत काल तक तीन व्यक्तियों पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा में विद्यमान है। ये तीनों सामर्थ और महिमा में समान हैं और हमारे उद्धार के कार्य में भिन्न  और सामंजस्यपूर्ण भूमिकाएं निभाते हैं।

साक्षी आयतें: निर्गमन 20:2-3; व्यवस्थाविवरण 6:4; 1 कुरिन्थियों 8:6; मत्ती 3:16-17, 28:19; इफिसियों 1:3-14

 

यीशु मसीह के विषय में

हम यीशु मसीह के परमेश्वरत्व में; पवित्र आत्मा द्वारा उसके चमत्कारिक गर्भधारण में; उसके कुंवारी से जन्म में; उसके पापरहित जीवन में; क्रूस पर उसकी स्थानापन्न (हमारे स्थान में) मृत्यु में; उसके शारीरिक पुनरुत्थान में; पिता के दाहिने हाथ पर उसके आरोहण (चढ़ जाने) में और उसकी व्यक्तिगत जल्द वापसी में विश्वास करते हैं।

साक्षी आयतें: यशायाह 7:14; मत्ती 1:18-25; यूहन्ना 1:1; 1 थिस्सलुनीकियों 4:13-18

 

पवित्र आत्मा के विषय में

हम यह विश्वास करते हैं कि पवित्र आत्मा एक परमेश्वरीय/दिव्य व्यक्ति है जिसमें व्यक्तित्व और परमेश्वरत्व के सभी गुण मौजूद हैं। वह पिता और पुत्र के समान है और उनके साथ एक ही स्वभाव का है। वह चुने हुए पापियों  को नया जन्म देने और पवित्र करने में सक्रिय है और प्रत्येक विश्वासी में निवास करता है, उनका मार्गदर्शन करता है और उनकी रक्षा करता है।

साक्षी आयतें: इब्रानियों 9:14; यशायाह 11:2, 63:10; रोमियों 8:9; तीतुस 3:5-6; गलतियों 5:22; गलतियों 5:16 ; भजन 143:10; इफिसियों 1:13,14

 

मनुष्य के विषय में

हम यह विश्वास करते हैं कि मनुष्य परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है। वह परमेश्वर के स्वरुप में बनाया गया था।  मनुष्य ने परमेश्वर की अवज्ञा की और आत्मिक रूप से मर गया और अभागा बन गया। आत्मिक मृत्यु का अर्थ है कि मनुष्य परमेश्वर को चाहने और खोजने में असमर्थ है, और नरक का पात्र है।

साक्षी आयतें: उत्पत्ति 1:26, 2:17; इफिसियों 2:1-2; रोमियों 3:10-11; रोमियों 6:23

 

उद्धार के विषय में

हम यह विश्वास करते हैं कि उद्धार कर्मों के द्वारा नहीं परन्तु पूरी तरह से प्रभु यीशु मसीह के मध्यस्थ कार्य के माध्यम से परमेश्वर के अनुग्रह से होता है। यीशु ने एक सिद्ध जीवन जीया और चुने हुए लोगों के पापों की क्षमा के लिए क्रूस पर परमेश्वर के दंड को सह लिया, मर गया और तीसरे दिन मृतकों में से जीवित हो गया और स्वर्ग पर चढ़ गया और पिता के दाहिने बैठ कर चुने हुओं के लिए विनती कर रहा है। यीशु मसीह के सिद्ध कार्य के कारण संत अपना उद्धार नहीं खो सकते।

साक्षी आयतें: 1 तीमुथियुस 2:5; इब्रानियों 9:15; यूहन्ना 14:6; इब्रानियों 4:15; 1 कुरिन्थियों 15:3-4; रोमियों 8:34; यूहन्ना 10:11, 26-29; इब्रानियों 10:14

उद्धार का क्रम 

1. बिना शर्त चुनाव: चूँकि मनुष्य बाइबल के सच्चे और जीवित परमेश्वर को चाहने और उसमें विश्वास करने में असमर्थ है, परमेश्वर ने अनंत में बिना शर्त के कुछ लोगों को उद्धार के लिए चुन लिया था।

साक्षी आयतें:   रोमियों 3:10-11; रोमियों 9:10-12

2. नया जन्म:  चूँकि मनुष्य पाप में मरा हुआ है और मसीह के सुसमाचार के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दे सकता, परमेश्वर अपने चुने हुओं को वचन के द्वारा नया जन्म देता है ताकि वे उस पर विश्वास कर सकें।

साक्षी आयतें:   इफिसियों 2:1-2; इफिसियों 2:4-9

3. विश्वास और पश्चाताप: उद्धार के लिए अपने पापों से पश्चाताप करना और यीशु मसीह पर विश्वास करना आवश्यक है, परन्तु ये मनुष्य की ओर से परमेश्वर को उपहार नहीं हैं, बल्कि परमेश्वर की ओर से मनुष्य को दान है।

साक्षी आयतें:   मरकुस 1:15; लूका 13:3, 24:47; प्रेरितों  13:48, 11:18; याकूब 1:18

4. धर्मिकरण: परमेश्वर हमें यीशु मसीह पर विश्वास करने के माध्यम से धर्मी ठहराता है। ध्यान दें विश्वास धर्मिकरण का आधार नहीं है, माध्यम है।

साक्षी आयतें:   रोमियों 4:1-7

5. लेपालकपन: लेपालकपन के अंतर्गत परमेश्वर विश्वास करने वालों को धर्मी ठहराकर अपने परिवार का सदस्य बना लेता है।

साक्षी आयतें:   इफिसियों 1:5; यूहन्ना 1:12

6. पवित्रीकरण: परमेश्वर अपने नए जन्माए, धर्मिकृत और गोद लिए बच्चों को पवित्र करता है। यह एक जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है।

साक्षी आयतें:   फिलिप्पियों 1:6; यूहन्ना 17:17

7. महिमाकरण: प्रभु यीशु मसीह अपने लोगों को निश्चित रूप से स्वर्ग में लेजाकर सिद्ध/महिमकृत कर देगा।

साक्षी आयतें:      रोमियों 8:30; यहूदा 1:24 

 

कलीसिया के विषय में

हम यह विश्वास करते हैं कि कलीसिया उन विश्वासियों से बनी है जिन्होंने प्रभु यीशु मसीह में विश्वास किया है और जिनमें पवित्र आत्मा वास करता है। नया जन्म पाए विश्वासी मसीह द्वारा दिए धार्मिक संस्कारों का पालन करते हैं, उसकी व्यवस्था के अधीन रहते हैं और उसके वचन द्वारा उनमें निवेशित उपहारों, अधिकारों और विशेषाधिकारों का प्रयोग करते हैं। कलीसिया का सिर स्वयं यीशु मसीह है। कलीसिया में चरवाहे/ प्राचीन और सेवक के दो शास्त्र-सम्मत पद होते हैं, जैसा कि तीमुथियस और तीतुस के पत्रों में लिखा गया है। चरवाहों/प्राचीनों और सेवकों समेत कलीसिया के सभी सदस्य बराबर होते हैं, भले ही उनके वरदान और भूमिकाएं भिन्न हों।

साक्षी आयतें: मत्ती 28:19,20; प्रेरितों के काम 2:41,42; 1 कुरिन्थियों 3:16; कुलुस्सियों 1:18 ; 1 तिमुथियुस 3:1-3; तीतुस 1:5-9

 

बपतिस्मा और प्रभु भोज के

विषय में

बपतिस्मा: हम यह विश्वास करते हैं कि मसीही बपतिस्मा विश्वासी को पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से पानी में डुबकी दिलाने के द्वारा दिया जाता है जो क्रूस पर चढ़ाए गए, गाड़े गए और पुनरुत्थित उद्धारकर्ता में विश्वास को दर्शाता है। यह विधि सिर्फ उसी के लिए है, जिसका पुराना मनुष्यत्व मर चुका है और जो नया जन्म और उद्धार पा चुका है। कलीसिया का सदस्य बनने के लिए यह आवश्यक है।  ।

साक्षी आयतें: मत्ती 28:19; रोमियों 6;3-4; यूहन्ना 3:23; प्रेरितों  8:38; 2:41-42

प्रभु भोज: हम यह विश्वास करते हैं कि प्रभु भोज विश्वासियों द्वारा मसीह के आने तक उसकी मृत्यु का स्मरण-उत्सव है। रोटी और दाख रस मात्रा प्रतीक हैं, इनसे हमे अनुग्रह नहीं मिलता।  ये जिस वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करते हैं, उस पर मनन करने के द्वारा हमें अनुग्रह मिलता है। यह सिर्फ उद्धार और बपतिस्मा पाए पश्चाताप का जीवन जीने वाले विश्वासी ही ले सकते हैं।

साक्षी आयतें: 1 कुरिन्थियों 10:16, 11:23-32 

 

पवित्र आत्मा के वरदानों के विषय में

हम यह विश्वास करते हैं कि प्रेरित और भविष्यवक्ता और चिन्ह-चमत्कारों के वरदान सिर्फ तब तक के लिए थे जब तक कि नया नियम पूरा नहीं हुआ था। प्रेरितों और भविष्यवक्ताओं के द्वारा परमेश्वर हम से बाते करता था और चिन्हों और चमत्कारों के द्वारा उनके वचन को दृढ़ करता था, पर नए नियम के पूरे होने पर हमें दोनों तरह के वरदानों की आवश्यकता नहीं है। परमेश्वर का वचन पर्याप्त है।

साक्षी आयतें: इब्रानियों 1:1; कुलुस्सियों 2:10; 2 पतरस 1:3; इफिसियों 2:20; प्रकाशितवाक्य 22:18-19; मरकुस 16:20; तीमुथियुस  3:15-17

 

सृष्टि के विषय में

हम यह विश्वास करते हैं कि परमेश्वर ने छह 24 घंटे के दिनों में  सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण किया। उसने मनुष्य को अपने स्वरुप में बनाया। हम विकासवाद और विकासवादी सृजनवाद के झूठे सिद्धांतों को अस्वीकार करते हैं।

साक्षी आयतें: निर्गमन 20:11; उत्पत्ति 1:27

 

लिंग-पहचान (Gender Identity) के विषय में 

हम यह विश्वास करते हैं कि परमेश्वर ने केवल दो लिंग बनाए: पुल्लिंग और स्त्रीलिंग। दुर्लभ रूप से कुछ लोग पाप और पतन के कारण असामान्यताओं के साथ पैदा होते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई तीसरा लिंग भी है। पुरुषों को पुरुषों की तरह कपड़े पहनने चाहिए और व्यवहार करना चाहिए और महिलाओं को महिलाओं की तरह कपड़े पहनने और व्यवहार करना चाहिए। लिंग बदलना घृणित और नरक के दंड के योग्य अपराध है।

साक्षी आयतें: उत्पत्ति 1:27; मत्ती 19:12; व्यवस्थाविवरण 22:5; 1 कुरिन्थियों 16:13; रोमियों 1:24-27

 

लिंग-भूमिकाओं (Gender Roles) के विषय में

हम यह विश्वास करते हैं कि पुरुष और महिलाएं समान हैं, लेकिन उनकी भूमिकाएँ अलग-अलग हैं।  उन्हें अपनी भूमिकाएँ नहीं बदलनी चाहिए। पुरुष रोटी कमाने वाला है और महिला गृहिणी है। पुरुष अगुआ है और महिला को उसके अधीन रहना है। महिलाएं कभी भी घर या कलीसिया में अगुआ नहीं बन सकतीं।

साक्षी आयतें: उत्पत्ति 1:27; 1 पतरस 3:7; उत्पत्ति 3:16,19 इफिसियों 5:22-25; तीतुस 2:5; 1 तीमुथियुस 2:12-15

 

विवाह के विषय में

हम यह विश्वास करते हैं कि विवाह एक जैविक पुरुष और एक जैविक महिला का एकल, आजीवन चलने वाला, वाचा-परक संयोजन है, जो मसीह के अपनी कलीसिया के लिए किए गए उद्धारक कार्य को प्रदर्शित करता है। परमेश्वर सभी समलैंगिक गतिविधियों और अन्य यौन विकृतियों को दंडनीय घोषित करता है।

साक्षी आयतें: उत्पत्ति 2:18-25, मत्ती 19:3-6; इफिसियों 5:22-33; लैव्यव्यवस्था 20:13; निर्गमन 22:19

 

मनुष्य की अनंत काल की स्थिति के विषय में

हम यह विश्वास करते हैं कि वे सभी जो विश्वास के माध्यम से प्रभु यीशु मसीह के नाम में धर्मी ठहरे  हैं, वे स्वर्ग में परमेश्वर  के साथ सिद्ध आनंद में अनंत काल बिताएंगे, और जो लोग ह्रदय की कठोरता या अज्ञानता के कारण परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह में विश्वास नहीं करते हैं, वे अपने पाप के कारण नरक की यातनाओं में अनंत काल बिताएंगे।

साक्षी आयतें: भजन 16:11; मत्ती 25:34-46; यूहन्ना 14:2

 

हम निम्न विश्वास-वक्तव्यों और  विश्वास-अंगीकारों और धार्मिक प्रश्नौत्तरीयों  को मानते हैं:

  •  एथनेश्यस का विश्वास-वक्तव्य https://logosinhindi.com/ऐथनैश्यस-का-विश्वास-वक्त/
  • नीकिया का विश्वास-वक्तव्य https://logosinhindi.com/the-nicene-creed/
  • स्पर्जन की धार्मिक प्रश्नोत्तरी (कुछ परिवर्तनों के साथ) https://logosinhindi.com/spurgeon-prashna-uttari-spurgeons-catechism-in-hindi/
  • न्यू हैम्पशायर विश्वास-अंगीकार https://logosinhindi.com/new-hampshire-confession-faith/
  • 1689 लंदन बैप्टिस्ट विश्वास अंगीकार (हम इसकी अधिकतर बातों को मानते हैं, परन्तु हम वाचा-धर्मशास्त्र में विश्वास नहीं करते हैं; हम इज़राइल और कलीसिया में अंतर करते हैं और यीशु मसीह के दाऊद के सिंघासन से अक्षरक्षः एक हज़ार वर्ष के राज्य में  विश्वास करते हैं। हम रविवार को पवित्र दिन मानते हैं, लेकिन यदि कोई विश्वासी कलीसिया के बाद खरीदारी करने बाजार जाता है या यात्रा करता है, तो हम उसे पाप नहीं मानते।) https://logosinhindi.com/1689-baptist-confession-faith/ https://founders.org/library-book/1689-confession/
  • ग्रेस टु यू विश्वास वक्तव्य: हम जॉन मैकआर्थर की कलीसिया की वेबसाइट पर दिए गए विश्वास वक्तव्य को पूरी तरह मानते हैं। https://www.gty.org/about#God