(i) परमेश्वर ने अनुग्रहपूर्वक यह निश्चित किया है कि वे सब जो धर्मी ठहरेंगे, उसके एकलौते पुत्र यीशु मसीह में और उसके कारण लेपालक होने का अनुग्रह पाएंगे। (ii) इसके द्वारा वे परमेश्वर की सन्तानों में गिने जाते हैं और उस सम्बन्ध की स्वतंत्रता और विशेषाधिकारों के भागी हो जाते हैं। (iii) वे उसके नाम के वारिस बन जाते हैं, (iv) लेपालकपन के आत्मा को प्राप्त करते हैं, (v) साहस के साथ अनुग्रह के सिंहासन तक पहुंच पाते हैं, और उन्हें “अब्बा, पिता” कहने की योग्यता प्रदान की जाती है। (vi) पिता के रूप में परमेश्वर के द्वारा उन पर दया की जाती है, (vii) उनकी रक्षा की जाती है, (viii) उनका पालन-पोषण किया जाता है, (ix) और उनकी ताड़ना की जाती है। (x) तथापि उन्हें कभी नहीं छोड़ा जाता है (xi) लेकिन छुटकारे के दिन के लिए उन पर मुहर लगाई गई है (xii) और वे सदाकालीन उद्धार के वारिस के रूप में प्रतिज्ञाओं को प्राप्त करते हैं।
(i) इफिसियों 1:5; गलातियों 4:4, 5
(ii) यूहन्ना 1:12; रोमियों 8:17
(iii) 2 कुरिन्थियों 6:18; प्रकाशितवाक्य 3:12
(iv) रोमियों 8:15
(v) गलातियों 4:6; इफिसियों 2:18
(vi) भजन 103:13
(vii) नीतिवचन 14:26
(viii) 1 पतरस 5:7
(ix) इब्रानियों 12:6
(x) यशायाह 54:8, 9; विलापगीत 3:31
(xi) इफिसियों 4:30
(xii) इब्रानियों 1:14; 6:12