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मनुष्य जिस अवस्था में गिरा, उसमे क्या दुर्गति है ? ((चार्ल्स स्पर्जन प्रश्नोत्तरी-18)

मनुष्य जिस अवस्था में गिरा, उसमे क्या दुर्गति है ?
उत्तर: पतन के कारण सम्पूर्ण मनुष्य जाति का परमेश्वर के साथ रिश्ता टूट गया (उत्पत्ति 3:8,24), वे उसके क्रोध और शाप के अंतर्गत आ गए (इफिसियों 2:3; गलातियों 3:10) और इस जीवन के सम्पूर्ण दुखों, मृत्यु और फिर नरक की सदाकालीन पीड़ाओं के भागी हो गए (रोमियों 6:23; मत्ती 25:41)।

साक्षी आयतें:

ब यहोवा परमेश्वर, जो दिन के ठंडे समय में वाटिका में फिरता था, का शब्द उनको सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए। (उत्पत्ति 3:8)

इसलिये आदम को उसने निकाल दिया और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिये अदन की वाटिका के पूर्व की ओर करूबों को, और चारों ओर घूमनेवाली ज्वालामय तलवार को भी नियुक्त कर दिया। (उत्पत्ति 3:24)

इनमें हम भी सब के सब पहले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर और मन की इच्छाएँ पूरी करते थे, और अन्य लोगों के समान स्वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे। (इफिसियों 2:3)

इसलिये जितने लोग व्यवस्था के कामों पर भरोसा रखते हैं, वे सब शाप के अधीन हैं, क्योंकि लिखा है, “जो कोई व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हुई सब बातों के करने में स्थिर नहीं रहता, वह शापित है।” (गलातियों 3:10)

क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है। (रोमियों 6:23)

“तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, ‘हे शापित लोगो, मेरे सामने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है। (मत्ती 25:41)

व्याख्या:

मनुष्य के पतन की अवस्था की भयावह दुर्गति के विषय में हम पिछले प्रश्नों के उत्तर में पढ़ चुके हैं। इसलिए यहाँ उस दुर्गति को निम्न पॉइंट्स में सारांशित करना और उनसे सम्बंधित आयतें देना पर्याप्त होगा :

  • परमेश्वर के साथ रिश्ता टूट गया
  • वे उसके क्रोध और शाप के अंतर्गत आ गए
  • इस जीवन के सम्पूर्ण दुखों और मृत्यु के भागी हो गए
  • नरक की सदाकालीन पीड़ाओं के भागी हो गए

परमेश्वर के साथ रिश्ता टूट गया

मनुष्य ने जब पाप किया तो मनुष्य का उससे रिश्ता टूट गया। परमेश्वर ने उन्हें अदन की वाटिका से निकाल दिया और और अपनी उपस्थिति, आशीष और अनुग्रह की छायां से दूर कर दिया। अब वो जीवन के सोते से अलग हो गए।

इसलिये आदम को उसने निकाल दिया और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिये अदन की वाटिका के पूर्व की ओर करूबों को, और चारों ओर घूमनेवाली ज्वालामय तलवार को भी नियुक्त कर दिया। (उत्पत्ति 3:24)

वे उसके क्रोध और शाप के अंतर्गत आ गए

परमेश्वर धर्मियों से प्रेम करता है, परन्तु पापियों से घृणा करता है। सब अधर्मी, अर्थात सम्पूर्ण मनुष्य जाति उसके दुश्मन हैं और उसकी ओर से शापित है। उसका अनंत पवित्र क्रोध उनके पाप के कारण उन पर है।

इनमें हम भी सब के सब पहले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर और मन की इच्छाएँ पूरी करते थे, और अन्य लोगों के समान स्वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे। (इफिसियों 2:3)

इसलिये जितने लोग व्यवस्था के कामों पर भरोसा रखते हैं, वे सब शाप के अधीन हैं, क्योंकि लिखा है, “जो कोई व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हुई सब बातों के करने में स्थिर नहीं रहता, वह शापित है।” (गलातियों 3:10)

इस जीवन के सम्पूर्ण दुखों और मृत्यु के भागी हो गए

उसके शाप के परिणाम तले सारी पृथ्वी ओर सब प्राणी दिन रात कराह रहे हैं। हम इस पृथ्वी पर बिमारियों, महामारियों, भूकम्पों, बाढ़ों, अकालों, पाप के कारण टूटे हुए रिश्तों, अपराधों और अन्याय से दिन प्रति दिन दो चार होते हैं और फिर एक दिन मर जायेंगे। परमेश्वर के खिलाफ पाप करके उससे दूर होने के पृथ्वी पर यही परिणाम है।

क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है। (रोमियों 6:23)

नरक की सदाकालीन पीड़ाओं के भागी हो गए

पाप के परिणाम सिर्फ इस पृथ्वी पर ही नहीं हैं; अनंत परमेश्वर के खिलाफ किये पापों की सजा भी अनंत ही मिलेगी। परमेश्वर पापियों को उनकी मृत्यु के बाद नरक में अनंत काल तक दंड देगा।

“तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, ‘हे शापित लोगो, मेरे सामने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है। (मत्ती 25:41)

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