8. परमेश्वर अपने विधानों (decrees) को कैसे पूरा करता है ?
उत्तर: परमेश्वर अपने विधानों को सृष्टि निर्माण (प्रकाशितवाक्य 4:11) और उसके प्रबंधन (रखरखाव) (दानिय्येल 4:35) के कामों में पूरा करता है?
साक्षी आयतें:
“हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू ही महिमा
और आदर और सामर्थ्य के योग्य है;
क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएँ सृजीं और वे
तेरी ही इच्छा से थीं और सृजी गईं।”
(प्रकाशितवाक्य 4:11)
पृथ्वी के सब रहनेवाले उसके सामने
तुच्छ गिने जाते हैं,
और वह स्वर्ग की सेना और पृथ्वी के
रहनेवालों के बीच
अपनी ही इच्छा के अनुसार काम करता है;
और कोई उसको रोककर उस से नहीं
कह सकता है, “तू ने यह क्या किया है?”
(दानिय्येल 4:35)
व्याख्या:
परमेश्वर दो तरीकों से अपने विधानों या अनंत में बनाई योजनाओं को पूरा करता है:
- सृष्टि निर्माण
- सृष्टि का रखरखाव
आइये कुछ आयतों में इस सत्य को स्पष्ट रूप से देखें:
“तू ही अकेला यहोवा है; स्वर्ग वरन् सबसे ऊँचे स्वर्ग और उसके सब गण, और पृथ्वी और जो कुछ उसमें है, और समुद्र और जो कुछ उसमें है, सभों को तू ही ने बनाया, और सभों की रक्षा तू ही करता है; और स्वर्ग की समस्त सेना तुझी को दण्डवत् करती है। (नहेम्याह 9:6)
उपर्युक्त आयत में हमने देखा की परमेश्वर ने अपने सृष्टि निर्माण के विधान या योजना को सृष्टि निर्माण के द्वारा पूरा किया और सृष्टि को सँभालने के विधान को सृष्टि के चलाने के द्वारा पूरा कर रहा है। उसी ने इस सृष्टि को बनाया और इसमें की हर चीज़ उसी की सामर्थ के द्वारा सुरक्षित रूप से चल रही है।
क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते–फिरते, और स्थिर रहते हैं (प्रेरितों 17:28)
यदि वह मनुष्य से अपना मन हटाये
और अपना आत्मा और श्वास अपने
ही में समेट ले,
तो सब देहधारी एक संग नष्ट हो जाएँगे,
और मनुष्य फिर मिट्टी में मिल जाएगा। (अय्यूब 34:14-15)
प्रेरितों 17:28 और अय्यूब 34:14-15 भी यही कहते हैं कि हम उसी में जीवित रहते हैं और सारे कार्य करते हैं। उसके बिना कोई अस्तित्व नहीं है। इसी सत्य को निम्न आयतों में भी सामर्थ के साथ प्रकट होते हुए देखिए :
क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हों अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुताएँ, क्या प्रधानताएँ, क्या अधिकार, सारी वस्तुएँ उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं। वही सब वस्तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएँ उसी में स्थिर रहती हैं। (कुलुस्सियों 1:16-17)
“हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू ही महिमा
और आदर और सामर्थ्य के योग्य है;
क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएँ सृजीं और वे
तेरी ही इच्छा से थीं और सृजी गईं।”
(प्रकाशितवाक्य 4:11)
पृथ्वी के सब रहनेवाले उसके सामने
तुच्छ गिने जाते हैं,xd
और वह स्वर्ग की सेना और पृथ्वी के
रहनेवालों के बीच
अपनी ही इच्छा के अनुसार काम करता है;
और कोई उसको रोककर उस से नहीं
कह सकता है, “तू ने यह क्या किया है?” (दानिय्येल 4:35)
चूँकि उसने इस दुनिया को बनाया और इसकी देखभाल करता है और यहाँ तक कि अपने दुश्मनों पर भी अपना सूरज उगाता है और अपनी बारिश भेजता है, ताकि वे जीवित रह सकें तो क्या हम ऐसे महान उदार परमेश्वर पर विश्वास ना करें और चिंता को छोड़ कर उसमे विश्राम ना करें– हम चुने हुए जिनसे उसने वाचा का अनंत प्रेम किया और हमें बचाने के लिए अपना प्राण दे दिया। यीशु मसीह हमें उसमे विश्वास करके शांति और आनंद में जीने के लिए प्रोत्साहन करने के लिए उसकी सृष्टि में उसकी देखरेख और व्यवस्था पर मनन करवाता है:
इसलिये मैं तुम से कहता हूँ कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएँगे और क्या पीएँगे; और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे। क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं? आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; फिर भी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उनको खिलाता है। क्या तुम उनसे अधिक मूल्य नहीं रखते? तुम में कौन है, जो चिन्ता करके अपनी आयु में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?“और वस्त्र के लिये क्यों चिन्ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न तो परिश्रम करते, न कातते हैं। तौभी मैं तुम से कहता हूँ कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उनमें से किसी के समान वस्त्र पहिने हुए न था।इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियो, तुम को वह इनसे बढ़कर क्यों न पहिनाएगा?
“इसलिये तुम चिन्ता करके यह न कहना कि हम क्या खाएँगे, या क्या पीएँगे, या क्या पहिनेंगे।क्योंकि अन्यजातीय इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, पर तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है। इसलिये पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी। (मत्ती 6: 25-32)
हमें किसी भी चीज़ कि चिंता नहीं करनी है। हमारा स्वर्गीय पिता हमारी सारी जरूरतों को पूरा करेगा। एक चिड़िया भी उसकी पवित्र और बुद्धिमान योजना के बहार और और उसकी अनुमति के बिना जमीन पर नहीं गिर सकती। उसने हमारे सिर के बाल भी गिन रखें हैं। हमें डरने के बजाय उस परम बुद्धिमान, सर्वशक्तिमान और प्रेमी पिता परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए:
क्या पैसे में दो गौरैयें नहीं बिकतीं? तौभी तुम्हारे पिता की इच्छा के बिना उनमें से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती। तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं। इसलिये डरो नहीं; तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो।( मत्ती 10:29-31)
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