आपने कई जगह प्रचारकों को देखा होगा कि वो फायर-फायर चिल्लाते हैं और लोगों को उनके सर को धक्का देकर गिराते हैं और कभी कभी लोग अपने आप भी गिर जाते हैं। इस कार्य को आत्मा में मारना (slaying in the spirit) कहा जाता है ? क्या यह पवित्र आत्मा का काम है ? नहीं, यह पवित्र आत्मा का काम नहीं। पवित्र आत्मा परमेश्वर के लोगों को मारने का नहीं, जिलाने और जीवन देने का कार्य करता है:
आत्मा तो जीवनदायक है। (यूहन्ना 6:63)
इसके अतिरिक्त, पवित्र आत्मा अपने स्वाभाव और अपने द्वारा लिखे गए वचन के ख़िलाफ़ नहीं जा सकता। आइये हम कुछ आयतें देखें :
1.) क्योंकि परमेश्वर गड़बड़ी का नहीं, परन्तु शान्ति का परमेश्वर है। (1 कुरिन्थियों 14:33)
सारी बातें शालीनता और व्यवस्थित रूप से की जाएँ। (1कुरिन्थियों 14:40)
1 कुरिन्थियों 14:33 में बाइबल हमे साफ़ साफ़ सिखाती है की परमेश्वर गड़बड़ी और अव्यवस्था नहीं फैलाता, बल्कि व्यवस्था और शांति स्थापित करता है। 1 कुरिन्थियों 14:40 में, परमेश्वर हमे आज्ञा देता है कि सारी बातें शालीनता और व्यवस्थित रूप से की जाएँ। यदि आप किसी भी चर्च या सभा में सब लोगों को एक साथ चिल्लाते, गिरते, लौटते हुए देखो तो समझ लो ये परमेश्वर नहीं कर रहा है।
2.) तब पतरस उन ग्यारह के साथ खड़ा हुआ और ऊँचे शब्द से कहने लगा (प्रेरितों 2:14)
भविष्यद्वक्ताओं की आत्मा भविष्यद्वक्ताओं के वश में है। (1 कुरिन्थियों 14:32)
कुछ दुष्ट, धोखेबाज या भ्रमित लोग आप से कहेंगे कि पवित्र आत्मा की सामर्थ को नहीं सह पाने के कारण लोग गिरते, लौटते, चिल्लाते, रोते, या हँसते हैं। लेकिन बाइबल कहीं भी ऐसा नहीं कहती। जब प्रेरितों के काम अध्याय 2 में परमेश्वर का आत्मा उतरा तो कोई नहीं गिरा; ना ही कोई लौटा। इसके विपरीत हम प्रेरितों 2:14 में देखते हैं कि पतरस बाकी ग्यारह प्रेरितों के साथ खड़ा हुआ और प्रचार किया। 1 कुरिन्थियों 14:32 के अनुसार भी परमेश्वर के वचन के घोषणा करने वालों का आत्मा उनके वश में होता है, अर्थात उनकी भावनाए उनके वश में होती हैं। वे गिरते- पड़ते-लौटते नहीं हैं।
3.) दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इससे लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ। (इफिसियों 5:18)
कुछ लोगों के हिसाब से जब पवित्र आत्मा से भरते हैं तो अपना नियंत्रण खो देते हैं। लेकिन बाइबल ऐसा नहीं सिखाती। इफिसियों 5:18 हमे आज्ञा देती यही कि शराब का नशा मत करो, परन्तु पवित्र आत्मा से भरते-भरते-भरते जाओ। शराब का नशा मत करो क्योंकि उससे व्यक्ति आत्म नियंत्रण खो देता है और गिरता-पड़ता-लौटता-चिल्लाता-बेमतलब हँसता-रोता और पाप करता है। बल्कि पवित्र आत्मा से भर जाओ, क्योंकि उससे भरने से हमे आत्म-नियंत्रण मिलता है और हम सब कार्य व्यवस्था और शालीनता से करके परमेश्वर की महिमा कर पाते हैं।
4.) आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम है। (गलतियों 5:22-23)
आप इन आयतों में भी देख सखते हैं कि पवित्र आत्मा संयम उत्पन्न करता है ना कि गिराता है।
तो फिर गिराता कौन है ? किसी भी चर्च या सभा में लोगों के गिरने-पड़ने-लौटने के लिए निम्न तीन में से एक चीज़ जिम्मेदार हो सकती है:
1.) अज्ञानता: नया विश्वासी यदि ऐसे ही लगों कि संगति में पाया जाता है तो वो अपनी अज्ञानता में गिरने को पवित्र आत्मा का काम मानकर गिर जाता है। उसे लगता है कि यदि मैं नहीं गिरा तो पवित्र आत्मा का अपमान हो सकता है। कभी कभी वो इस लिए भी जान बुझ कर इसलिए लेट जाएगा, क्योंकि आसपास सब लोग लेट रहें हैं और यदि वह नहीं लेता तो लोग उसे अनआत्मिक समझेंगे।
2.) मनोविज्ञान (Psychology): इस तरह कि गिरने वाली सभाओं में भावनात्मक प्रचार किया जाता है, तीव्र भावनात्मक संगीत बजाया जाता है और तीव्र भावनात्मक गीत गाये जाते हैं। प्रचारक पहले से कुर्सियां हटवा देता है या आगे बुला लेता है और बार बार बोलता रहता है: जब पवित्र आत्मा आएगा तो आपको विभिन्न तरह के अनुभव होंगे – कुछ लोग गिर जाएंगे, कुछ लोग उछलने लग जाएंगे, कुछ लोग लौटने लग जाएंगे, कुछ लोग चिल्लाने लग जाएंगे, कुछ लोग हंसाने लग जाएंगे और कुछ लोग रोने लग जाएंगे। इसे सुझाव की शक्ति (power of suggestion) कहते हैं – यानी बार-बार बोल कर और पूरा माहौल बना कर लोगों के दिमागों को तैयार कर देना वो करने के लिए जो प्रचारक चाहता है। ये सब लोगों को मनोवैज्ञानिक रूप से धोखा देकर किया जाता है। सीधे शब्दों में कहूं तो- दिमाग बाँध देने के द्वारा ऐसा किया जाता है। तो इसका अर्थ हुआ जो जितना ज्यादा भावुक होगा, वो इन चीजों से उतना ज्यादा प्रभावित होगा। इसीलिए महिलाएं और इमोशनल आदमी ज्यादा गिरते और लौटते हैं और जो स्त्रियाँ और पुरुष कम इमोशनल होते हैं, वो नही गिरते और सोचते रहते हैं हमारे साथ ऐसा क्यों नहीं हो रहा है.
3.) शैतान और दुष्टात्माएं: मसीही सभा में गिरने-लौटने-चीखने-कूदने-भागने जैसे बेहूदा व्यहवार के लिए शैतान या उसके दुष्टात्मा भी जिम्मेदार हो सकते हैं। दुष्टात्माएं जब लोगों के अंदर होते हैं तो उसके परिणाम आत्म नियंत्रण खो देना होता है।
क्योंकि वह बार बार बेड़ियों और साँकलों से बाँधा गया था, पर उसने साँकलों को तोड़ दिया और बेड़ियों के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे, और कोई उसे वश में नहीं कर सकता था। 5वह लगातार रात-दिन कब्रों और पहाड़ों में चिल्लाता, और अपने को पत्थरों से घायल करता था। (मरकुस 5:4-5)
एक दुष्टात्मा उसे पकड़ती है, और वह एकाएक चिल्ला उठता है; और वह उसे ऐसा मरोड़ती है कि वह मुँह में फेन भर लाता है; और उसे कुचलकर कठिनाई से छोड़ती है। (लुका 9:39)
आपने इन आयतों में देख लिया है कि दुष्टात्माएं ऐसा काम करवाते हैं। इसके विपरीत पवित्र आत्मा गिरे हुओं को उठाता है, अर्थात जो पाप के दलदल में धंसे होतें हैं, शैतान के बंधन में बंधे होते हैं, झूठे भावनात्मक डिनोमिनेशन या चर्च में झूठ में जी रहें होते हैं, उन लोगों को उठाता है और आत्म नियंत्रण, व्यवस्था और शालीनता सिखाता है।
प्रोत्साहन: यदि आप किसी ऐसे चर्च या संघटन में पाए जाते हैं और आज आपको सत्य का ज्ञान हो गया है तो आप क्या करें? निम्नलिखित कदम उठाइये :
- पश्चाताप कीजिये झूठ में जीने के लिए और पवित्र आत्मा के ख़िलाफ़ पाप करने के लिए।
- झूठी भावनात्मकता को छोड़ कर बाइबल कि और लौट आइये। बाइबल का अध्ययन कीजिये।
- सच्चे शिक्षकों से शिक्षा लीजिये।
- प्रार्थना कीजिये कि परमेश्वर आप को सत्य सिखाये और सत्य आपको झूठ से आज़ाद कर दे।
- अपने चर्च के अगुवों के पास जाइये जो इस तरह का ड्रामा करवाते हैं और उन्हें आपने जो सीखा वो प्रार्थना के साथ विनम्रता पूर्वक बताइये। यदि वे आपकी बात मानते हैं और बाइबल कि और लौटते हैं तो बहुत ही अच्छी बात है, लेकिन यदि वो ना माने तो, आप भी उनकी ना मानो और किसी सही चर्च की तलाश करो। ये मैं नहीं कह रहा। पवित्र आत्मा खुद वचन में कह रहा है :
यदि कोई मनुष्य अपने आप को भविष्यद्वक्ता या आत्मिक जन समझे, तो यह जान ले कि ये जो (चर्च में व्यवस्था और शालीनता की) बातें मैं तुम्हें लिखता हूँ, वे प्रभु की आज्ञाएँ हैं। परन्तु यदि कोई यह न माने, तो उसको भी न मानो। (1 कुरिन्थियों 14:37 -38)
बेनी हिन के भतीजे कॉस्टी हिन ने बिल्कुल ऐसा ही किया। वो अपने चाचा की झूठी सेवकाई छोड़ कर सच्चाई के साथ परमेश्वर के लिए जी रहा है और सेवा कर रहा है। नीचे उसके एक आर्टिकल का लिंक दिया जा रहा है।
उदहारण प्रार्थना :
है पिता, आपके वचन कि सच्चाई के लिए हम आपका धन्यवाद करते हैं। हम पर दया कीजिये ताकि हम झूठे शिक्षकों से बच कर रह सकें और आपके वचन की शिक्षाओं में बने रह सकें। आपके वचन को और पढने, अध्ययन करने और उस पर मनन करने में हमारी मदद कीजिये।
शिक्षाएं (Doctrines Involved in this Devotional): पवित्र आत्मा की सेवकाई के विषय में शिक्षा (Doctrine of the holy spirit)
यदि आपको इस लेख के द्वारा आशीष मिली है तो मुझे ज़रूर बताये।
अधिक अध्ययन करने के लिए:
https://www.forthegospel.org/mythbusters-slain-in-the-spirit/
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Praise God…ki sahu samy par sab samj aa gya
Thank you so much bhaiya . hamara parmeshwar shaanti ka parmeshwar h . M God ka dhanyawad karti hu ki god n hame true teacher diya or jhuthi siksha s nikala . God hume aapke har msg m deep chijo ko sikhata h . May God bless you
Thank u Bhaiya….
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गॉड ब्लेस यू सच्चाई बताने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद थैंक्स
Bible satdy m bhut kuch sik rha gu
Bible study m bahut कुछ सीख रहा हू गहरी adyan mil रहा हो
Thank you so much bhaiya….. I’m blessed …m God Ka bahut dhanywad krti hu …ki … humhe true teaching and true teacher k liye….holy spirit ko lekr bahut doubt the Jo is msg we clear huge….thank you… God k true merits k liye ?
Thanks bhiya