मनुष्य पूरी तरह भ्रष्ट या पापों में मारा हुआ है. वह परमेश्वर को नहीं चुन सकता, ना ही वह परमेश्वर के पास आना चाहता है. उसके महान से महान कार्य परमेश्वर की नज़रों में पाप है क्योंकि जो विश्वास से नहीं और परमेश्वर की महिमा के लिए नहीं, वो सब पाप है. मनुष्य जन्म से… Continue reading (Doctrine of Total Depravity) सम्पूर्ण भ्रष्टता या सम्पूर्ण असमर्थता की शिक्षा/सिद्धांत