याकूब की पत्री ( दूसरे अध्याय पर आधारित प्रशन्नावली) याकूब की पत्री ( दूसरे अध्याय की प्रशनावली) Name Email 1. तुझे विश्वास है कि एक ही परमेश्वर है; तू अच्छा करता है; ....... भी विश्वास रखते, और थरथराते हैं। मनुष्य प्रेरित मूसा दुष्टात्मा 2. पवित्रशास्त्र के किस वचन के अनुसार हम उस राज व्यवस्था को पूरी कर सकते है? परमेश्वर के अधीनता में रह कर अपने कमाई का दशमांस देकर अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख कर अपने माता पिता की सेवा कर के 3. पर यदि तुम पक्षपात करते हो तो ...... करते हो; और ........ तुम्हें अपराधी ठहराती है। गलत, पिता अच्छा, आत्मा पाप, व्यवस्था संदेह, पवित्र आत्मा 4. परमेश्वर ने इस जगत के कंगालों को किस में धनी होने के लिए चुना हैं? विश्वास दीनता दया प्रेम 5. जिसने दया नहीं की उसका न्याय कैसे होगा? बिना दया के बिना फटकार लगाए फटकार लगाकर दया के साथ 6. जैसे देह आत्मा बिना मरी हुई है वैसा ही ...... भी ...... बिना मरा हुआ है। शांति, धीरज विश्वास, कर्म धर्म, कर्म जीवन, प्रेम 7. “..... ने परमेश्वर का विश्वास किया, और यह उसके लिये धार्मिकता गिना गया;” और वह परमेश्वर का....... कहलाया । पॉलूस, प्रेरित इस्राएल, पुत्र अब्राहम, मित्र मूसा, दूत 8. तुम उन लोगों के समान वचन बोलो, और ........, जिनका न्याय स्वतंत्रता की व्यवस्था के अनुसार होगा। काम भी करो प्रार्थना भी करो दान भी करो प्रेम भी करो 9. यदि एक पुरुष सोने के छल्ले और सुन्दर वस्त्र पहिने हुए तुम्हारी सभा में आए, और एक कंगाल भी मैले कुचैले कपड़े पहिने हुए आए,तब इन दोनों के साथ कैसा वैव्यहार होना चाहिए? दोनों के लिए प्रार्थना दोनों से समान चंदा लेना दोनों का स्वागत दोनों के साथ निष्पक्षता 10. इसलिये कि जिसने यह कहा, “तू व्यभिचार न करना” उसी ने यह भी कहा- तू चोरी न करना तू लालच न करना तू हत्या न करना तू दोष ना लगाना
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