Reformed baptist church in jaipur

बैपटिस्ट विश्वास अंगीकार अध्याय 6 – मानवजाति का पतन, और पाप और उसका दंड

पैराग्राफ़ -1

(i) परमेश्वर ने मनुष्य को धर्मी और सिद्ध बनाया था। उसने उन्हें एक धर्मी व्यवस्था दी, जिसे तोड़ने का परिणाम मृत्यु होगा। (ii) तौभी वे इस सम्मान के पद पर अधिक समय तक न टिके रहे। शैतान ने साँप की धूर्तता का इस्तेमाल करके हव्वा को बहकाया और हव्वा ने फिर आदम को बहकाया। आदम ने बिना किसी बाहरी दबाव के कार्य किया और जानबूझकर वर्जित फल खाकर उनकी सृष्टि के नियम का और  उन्हें दी गई आज्ञा का उल्लंघन किया। परमेश्वर ने अपनी बुद्धिमानी और पवित्र सम्मति के अनुसार इस कार्य को होने दिया, क्योंकि उसका इसे अपनी महिमा के लिए निर्देशित करने का उद्देश्य था।

(i) उत्पत्ति 2:16,17

(ii) उत्पत्ति 3:12,13; 2 कुरिन्थियों 11:3

 

पैराग्राफ़ -2

(i) इस पाप के कारण हमारे पहले माता-पिता अपनी मूल धार्मिकता और परमेश्वर के साथ संगति से पतित हो गए। हम उनमें पतित हो गए और इसके द्वारा सब पर मृत्यु आ गई। (ii) सब पाप में मृत हो गए और (iii) आत्मा और शरीर की सभी क्षमताओं और भागों में पूरी तरह से अशुद्ध हो गए।

(i) रोमियों 3:23

(ii) रोमियों 5:12

(iii) तीतुस 1:15; उत्पत्ति 6:5; यिर्मयाह 17:9; रोमियों 3:10-19

 

पैराग्राफ़ -3

(i) परमेश्वर की नियुक्ति के अनुसार वे संपूर्ण मानव जाति के मूल और प्रतिनिधि थे। इस कारण उनके पाप का दोष सामान्य प्रजनन के द्वारा उनसे उत्पन्न उनकी सब सन्तानो पर आ गया और उनका भ्रष्ट स्वभाव उन सब  में फैल गया। (ii) उनके वंशज अब पाप के साथ ही अपनी माता के गर्भ में पड़ते हैं (iii) और स्वभाव से क्रोध की संतान, (iv) पाप के गुलाम और मृत्यु और सभी आत्मिक, लौकिक और अनंतकालीन दुखों के भागी हैं, (v) यदि प्रभु यीशु उन्हें मुक्त नहीं कर देते हैं।

(i) रोमियों 5:12-19; 1 कुरिन्थियों 15:21, 22, 45, 49

(ii) भजन 51:5; अय्यूब 14:4

(iii) इफिसियों 2:3.

(iv) रोमियों 6:20; 5:12

(v) इब्रानियों 2:14, 15; 1 थिस्सलुनीकियों 1:10

 

पैराग्राफ़ -4

(i) सभी वास्तविक अपराध इस मूल भ्रष्टता से उत्पन्न होते हैं। (ii) इसके कारण हम पूरी तरह वह सब जो अच्छा है के प्रति पूर्वाग्रहग्रस्त, उसको करने मेंअक्षम और उसके विरोधी हैं, और हम पूरी तरह से वह सब जो बुरा है करने के लिए प्रवृत्त हैं।

(i) याकूब 1:14, 15; मत्ती 15:19

(ii) 12 रोमियों 8:7; कुलुस्सियों 1:21

 

पैराग्राफ़ -5

(i)  इस जीवन के दौरान स्वाभाव की यह भ्रष्टता नया जन्म पा सके लोगों में भी रहती है। (ii) भले ही इसे मसीह के माध्यम से क्षमा कर दिया गया है और मार दिया गया है, फिर भी स्वाभाव की यह भ्रष्टता और इससे उत्पन्न होने वाले सभी कार्य सच में और वास्तव में पाप हैं।

(i) रोमियों 7:18,23; सभोपदेशक 7:20; 1 यूहन्ना 1:8

(ii) 14 रोमियों 7:23-25; गलातियों 5:17

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *