पैराग्राफ़ -1
(i) कुछ चुने हुए लोग अपने प्रारंभिक वर्षों में कुछ समय तक अपनी स्वाभाविक अवस्था में विभिन्न बुरी इच्छाओं और पापमय आनंदों में जीने के बाद परिवर्तित हो जाते हैं। परमेश्वर प्रभावशाली बुलाहट के एक भाग के रूप में उनको जीवन की ओर ले जाने वाले पश्चाताप का दान देता है।
(i) तीतुस 3:2-5
पैराग्राफ़ -2
(i) ऐसा कोई नहीं है जो भलाई करता हो और पाप न करता हो। (ii) यहां तक कि सर्वश्रेठ लोग भी उनमे पाई जाने वाली भ्रष्टता की शक्तिऔर छल और प्रलोभन की सामर्थ के कारण बड़े पापों और अपराधों में गिर सकते हैं। इसलिए परमेश्वर ने दयापूर्वक नई वाचा में यह प्रावधान किया है कि जो विश्वासी पाप करते हैं और गिर जाते हैं, उन्हें पश्चाताप के माध्यम से उद्धार के लिए नवीनीकृत किया जाएगा।3
(i) सभोपदेशक 7:20
(ii) लूका 22:31, 32
पैराग्राफ़ -3
(i) यह उद्धारक पश्चाताप एक सुसमाचार अनुग्रह है (ii) जिसमें वे लोग जिन्हें पवित्र आत्मा द्वारा उनके पाप की कई बुराइयों के बारे में जागरूक किया जाता है, मसीह में विश्वास के द्वारा इसके (पश्चाताप के) लिए भक्तिपूर्ण दुःख, पाप के प्रति घृणा और आत्म-घृणा के साथ खुद को विनम्र करते हैं। (iii) वे क्षमा और अनुग्रह की शक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और आत्मा के प्रावधानों द्वारा हर चीज में परमेश्वर के सामने उसको प्रसन्न करने वाले तरीके से जीने के लिए दृढ़ संकल्प और प्रयास करते हैं।
(i) जकर्याह 12:10; प्रेरितों के काम 11:18
(ii) यहेजकेल 36:31; 2 कुरिन्थियों 7:11
(iii) भजन 119:6, 128
पैराग्राफ़ -4
(i) मृत्यु के शरीर और उसकी गतिविधियों के कारण हमें जीवन भर पश्चाताप करते रहना चाहिए। इसलिए प्रत्येक विशिष्ट, ज्ञात पाप के लिए विशेष रूप से पश्चाताप करना हर किसी का कर्तव्य है।
(i) लूका 19:8; 1 तीमुथियुस 1:13, 15.
पैराग्राफ़ -5
(i) परमेश्वर ने विश्वासियों को उनके उद्धार में सुरक्षित रखने के लिए नई वाचा में मसीह के माध्यम से पूर्ण प्रावधान किया है। इस प्रकार यद्यपि कोई भी पाप इतना छोटा नहीं है कि वह दंड के योग्य न हो, (ii) फिर भी कोई पाप इतना बड़ा नहीं है कि वह पश्चाताप करने वालों पर दंड लाएगा। यह पश्चाताप के निरंतर प्रचार को आवश्यक बनाता है।
(i) रोमियों 6:23
(ii) यशायाह 1:16-18; 55:7