Reformed baptist church in jaipur

Hindi Blog

1689 बैपटिस्ट विश्वास अंगीकार अध्याय 4 – सृष्टि निर्माण

पैराग्राफ़ -1 (i) आरम्भ में परमेश्वर पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा (ii) को यह भाया कि वह संसारऔर उसमे की सभी दृश्य और अदृश्य वस्तुओं को छह दिन की अवधि में बनाए और जो उसने बनाया वह सब कुछ बहुत अच्छा था। (iii) उसने ऐसा अपनी अनंत सामर्थ, ज्ञान और अच्छाई की महिमा प्रकट करने …

1689 बैपटिस्ट विश्वास अंगीकार अध्याय 4 – सृष्टि निर्माण Read More »

1689 बैपटिस्ट विश्वास अंगीकार ध्याय 3 – परमेश्वर का विधान (भविष्यनिर्धारण)

पैराग्राफ़ -1 (i) परमेश्वर ने अनंत में अपने अलावा किसी से भी प्रभावित हुए बिना उन सब बातों का निर्धारण कर दिया था जो भविष्य में होंगी। (ii) उसने ऐसा अपनी इच्छा की पूरी तरह बुद्धिमान और पवित्र सम्मति से स्वतंत्र और अपरिवर्तनीय रूप से किया। तौभी परमेश्वर ने ऐसा इस रीति से किया कि …

1689 बैपटिस्ट विश्वास अंगीकार ध्याय 3 – परमेश्वर का विधान (भविष्यनिर्धारण) Read More »

1689 बैपटिस्ट विश्वास अंगीकार अध्याय 2 – परमेश्वर और पवित्र त्रिएकता

पैराग्राफ़ -1 (i) हमारा परमेश्वर यहोवा एक है और एकमात्र जीवित और सच्चा परमेश्वर है। (ii) वह स्वयं से अस्तित्व में है (iii) और अपने तत्त्व (substance/essence) में और सिद्धता (perfection) में अनंत है। उसके तत्त्व (substance/essence) को उसके अलावा और कोई नहीं समझ सकता। (iv) वह शुद्ध रूप से आत्मा है। (v) वह अदृश्य …

1689 बैपटिस्ट विश्वास अंगीकार अध्याय 2 – परमेश्वर और पवित्र त्रिएकता Read More »

1689 बैपटिस्ट विश्वास अंगीकार अध्याय 1 – पवित्र शास्त्र

  पैराग्राफ़ -1 (i)  पवित्र शास्त्र सभी उद्धार करने वाले ज्ञान, विश्वास और आज्ञाकारिता का एकमात्र पर्याप्त, निश्चित और अचूक मानक है। (ii) यद्यपि प्रकृति से आने वाला ज्ञान और सृष्टि और विधान के कार्य इतने स्पष्ट रूप से परमेश्वर की अच्छाई, बुद्धि और सामर्थ को प्रदर्शित करते हैं कि मनुष्यों के पास (विश्वास नहीं …

1689 बैपटिस्ट विश्वास अंगीकार अध्याय 1 – पवित्र शास्त्र Read More »

ऐथनैश्यस का विश्वास वक्तव्य (Athanasian Creed)

ऐथनैश्यस चौथी शताब्दी में मिश्र के सिकन्दरिया में रहने वाला प्रभु का सच्चा सेवक था। उसका जन्म 296 ईसा पश्चात में हुआ था।  वह  ऐरियस नाम के झूठे शिक्षक और उसकी झूठी शिक्षाओं के खिलाफ था। ऐरियस त्रिएकता की शिक्षा को बिगाड़ चुका था। वह यीशु मसीह के परमेश्वरत्व में विश्वास नहीं करता था। वह …

ऐथनैश्यस का विश्वास वक्तव्य (Athanasian Creed) Read More »

क्या फिलिप्पियों और इब्रानियों के लेखक यह सिखाते हैं कि आप अपना उद्धार खो सकते हैं ?

हम सम्पूर्ण बाइबल में से जानते हैं कि यदि हमने उद्धार पाया है तो उसे खो नहीं सकते। प्रभु यीशु मसीह ने स्पष्ट रूप से कहा कि सिर्फ उसके चुने हुए लोग ही अनंत जीवन पाते हैं और वे उसे कभी नहीं खो सकते: मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और …

क्या फिलिप्पियों और इब्रानियों के लेखक यह सिखाते हैं कि आप अपना उद्धार खो सकते हैं ? Read More »

न्यू हैम्पशायर विश्वास अंगीकार (जॉन न्यूटन ब्राउन द्वारा)

न्यू हैम्पशायर विश्वास अंगीकार कैल्विनवादी है। लेकिन इसके कैल्विनवाद को नरम कैल्विनवाद कहा जाता है। कुछ लोग इसे एक संतुलित कैल्विनवादी अंगीकार मानते हैं, क्योंकि यह परमेश्वर की सम्प्रभुता के साथ-साथ मनुष्य की जिम्मेदारी पर भी जोर डालता है। मैं दो बिंदुओं के विषय में बात करना चाहता हूँ। बिंदु छः में मैं नरक जाने …

न्यू हैम्पशायर विश्वास अंगीकार (जॉन न्यूटन ब्राउन द्वारा) Read More »

मनुष्य जिस अवस्था में गिरा, उसमे क्या दुर्गति है ? ((चार्ल्स स्पर्जन प्रश्नोत्तरी-18)

मनुष्य जिस अवस्था में गिरा, उसमे क्या दुर्गति है ? उत्तर: पतन के कारण सम्पूर्ण मनुष्य जाति का परमेश्वर के साथ रिश्ता टूट गया (उत्पत्ति 3:8,24), वे उसके क्रोध और शाप के अंतर्गत आ गए (इफिसियों 2:3; गलातियों 3:10) और इस जीवन के सम्पूर्ण दुखों, मृत्यु और फिर नरक की सदाकालीन पीड़ाओं के भागी हो …

मनुष्य जिस अवस्था में गिरा, उसमे क्या दुर्गति है ? ((चार्ल्स स्पर्जन प्रश्नोत्तरी-18) Read More »

उस अवस्था की पापमयता किन बातों में निहित है, जिसमें मनुष्य गिर गया ? (चार्ल्स स्पर्जन प्रश्नोत्तरी-17)

उस अवस्था की पापमयता किन बातों में निहित है, जिसमें मनुष्य गिर गया ? उत्तर: जिस अवस्था में मनुष्य गिरा, उस अवस्था की पापमयता आदम के प्रथम पाप के दोष (रोमियों 5:19), मूल धार्मिकता की कमी (रोमियों 3:10), सम्पूर्ण स्वभाव की भ्रष्टता, जिसे सामान्य रूप से मूल पाप कहा जाता है (इफिसियों 2:1; भजन सहिंता …

उस अवस्था की पापमयता किन बातों में निहित है, जिसमें मनुष्य गिर गया ? (चार्ल्स स्पर्जन प्रश्नोत्तरी-17) Read More »

पतन मनुष्य जाति को किस अवस्था में ले आया ? (चार्ल्स स्पर्जन प्रश्नोत्तरी-16)

पतन मनुष्य जाति को किस अवस्था में ले आया ? उत्तर: पतन मनुष्य जाति  को पाप और दुर्गति की अवस्था में ले आया (रोमियों 5:18)। साक्षी आयतें: इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित्त …

पतन मनुष्य जाति को किस अवस्था में ले आया ? (चार्ल्स स्पर्जन प्रश्नोत्तरी-16) Read More »