Reformed baptist church in jaipur

1985

मनुष्य की स्वतन्त्र इच्छा उसे दाँत के दर्द, या उँगलियों के छाले से भी ठीक नहीं कर पाती है; और फिर भी वह पागलों की तरह यह सोचता है कि उसकी आत्मा को ठीक करने की शक्ति उसकी स्वतंत्र इच्छा में है।